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लापता रंग!

कहते हैं आज़ाद है, सुनाई देता है, फ़िर क्यों  लगता है ये झुठी आवाज़ है, प्रश्न सर उठाते है, ' आज़ाद है ' कौन, किससे, कब, कहां  ? क्या नहीं दिखता ? दबा, झुका, सिमटा, रुका, अटका,भटका पस्त, लाचार, रेंगता, लड़खड़ाता आपको नज़र नहीं आता? जाहिर है, आप सावधान में खड़े हैं अपनी मान्यताओं में गड़े हैं  नज़र उपर है, क्योंकि झंड़े खड़े हैं, और पांव तले रेंगते हुए सच, नज़र नहीं आते    जाने दीजिये, आपकी मज़बुरी है, आप आज़ाद हैं ये जश्न आपको मुबारक हो!