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बाअदब, बामुलाहिज़ा, होशियार

चलने के नये रास्ते इज़ाद होते हैं, घुटनों पर चल लोग आबाद होते हैं तालीम बरसों की आखिरकार रंग लायी है हुक्मउदूली एक कला बन सामने आयी है! वतनपरस्ती फ़िर एक धारदार हथियार है, आप की मर्ज़ी अब सियासी कारोबार है! खुली हवा भी अब एक व्यापार है, हर वीक-एंड़ इसका कारोबार है! रस्ते साफ़ हो रहे हैं लकीरें मिटाने को कत्ल माफ़ हैं अब नये सच जुटाने को जो गुम हैं वो अब गुमशुदा नहीं होते, भटके हुए अब रस्ते नहीं खोते! एकता में सुना बड़ी ताकत होती है,  और ये भी कि ताकत बहका देती है! बाअदब, बामुलाहिज़ा, होशियार, अच्छे दिन आ रहे हैं! हम सब एक हैं, अब भारत स्वच्छ होगा भारत माता के जय, विजय, राम, नरिनदर बेटियाँ अच्छी घर के अंदर हकीकत तारीख बन रही है  और तारीख की हकीकत बदलती है,  सियासी गिरगिट है गोया बदलते रुख से रंग बदलती है!

सच खबर नज़र असर

  जमूरियत के सब जमूरे बन गये हैं, मुफ़्त मिल रहा है वो सच खरीदे हैं! चौबीसों सात आप पर पैनी नज़र है तमाशाई कौन है ये फ़रक कैसे कीजे? खबर ये है कि आपको खबर ही नहीं, और आपको खबर है कि खबर ही नहीं! आपके सच ऐसे हैं कि आपको सच का असर नहीं, वो नज़र आयेगा कैसे जो आपको नज़र ही नहीं! जो आपको असर कर दे उसकी खबर है, जो खबर है उसका आपको असर ही नहीं! क्या खबर है और किसको खबरदार करें, बिक गये रद्दी में अब जिसको अखबार करें!