ये एक सुबह थी, कोई एक वजह थी, सब मौजूद दे, ठीक वहीं, जहां उनकी जरूरत थी, उनको भी, वहां ही होना था, उनकी भी एक वजह थी! रास्ते में सब हमसफ़र हैं! आप क्यों अकेले हैं? हर ओर मेले हैं, ज़िंदगी के ज़िंदगी को आप क्यों रुके हैं? दो कदम चलिए! ज़िंदगी हमसफ़र है!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।