शैतान सोच की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! मनुवादी बीमार बोली है, "बुरा न मानो होली है"! आतंक की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! जबरन, दबंग सोच बोली है, "बुरा न मानो होली है"! बलात्कार की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! रंग तमाम सोच #UnHoly है "बुरा न मानो होली है"! सच से आँख-मिचौली है! "बुरा न मानो होली है"? गंगा स्नान की बोली है! "बुरा न मानो होली है"! "आज सब चलता है," बोल शैतान हाथ फिसला है! किस संस्कृति की बोली है? "बुरा न मानो होली है"!! (अगर सोच में पड़ गए हैं या भावनाएं उछल रही हैं तो ये लेख भी पड़ लीजिए-) https://www.thelallantop.com/tehkhana/meow-how-holi-remains-a-festival-of-licensed-harassment-and-assertion-of-masculinity/amp/
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।