अंजान तारुफ़ सड़क , लोग , मौसम, हवा, हँसी , रुकना, चलना, बोलना, खाना, पीना, छोड़ना , ट्रेफिक की बत्ती , रंग बदलती पत्ती , यकीन, खुद में, खुदा में , रिश्ते, नज़दीकी और दूर के, उम्मीदें , आकांक्षा, आजादी, हाथ की और हकीक़त , खुली लाईब्ररी, सहूलियत या तबीयत? रुकती कारें , चलते कदम, कायदे, सोच : हमें मालुम है, सोच या हमें मालुम है_ _ _? सीमित, संकुचित, दुनिया और भी है, यही होना चाहिये, सही है? खुश होना चाहिए, पर तमाम सवाल हैं मौज़ूद और मुश्किल जहाँ सवालियत नहीं है नज़र एक काफी नहीं है, तमाम चाहिए, तारुफ़ अंजान ही बेहतर है, पहचान चौखटा बना देती है, शराफत इसी में है, सच को फैला नहीं सकते तो भुला दें, हर लम्हा एक नयी शुरुवात हो, आपसे मिलकर खुशी हुई! आप कौन??????
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।