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अंजान तारुफ़

अंजान तारुफ़ 
सड़क , लोग , मौसम, हवा, हँसी , 
रुकना, चलना, बोलना, 
खाना, पीना, छोड़ना , 
ट्रेफिक की बत्ती , रंग बदलती पत्ती , 
यकीन, खुद में, खुदा में ,
रिश्ते,  नज़दीकी और दूर के, 
उम्मीदें , आकांक्षा,
आजादी, हाथ की और हकीक़त , 
खुली लाईब्ररी, सहूलियत या तबीयत?
रुकती कारें , चलते कदम, 
कायदे, 
सोच :
हमें मालुम है, 
सोच या हमें मालुम है_ _ _?
सीमित, संकुचित, 
दुनिया और भी
है,
यही होना चाहिये, 
सही है?
खुश होना चाहिए, 
पर तमाम सवाल हैं 
मौज़ूद 
और मुश्किल 
जहाँ सवालियत नहीं है 
नज़र एक काफी नहीं है, 
तमाम चाहिए, 
तारुफ़ अंजान ही बेहतर है, 
पहचान चौखटा बना देती है, 
शराफत इसी में है, 
सच को फैला नहीं सकते 
तो भुला दें, 
हर लम्हा एक नयी शुरुवात हो,
आपसे मिलकर खुशी हुई!
आप कौन??????



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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

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हमदिली की कश्मकश!

नफ़रत के साथ प्यार भी कर लेते हैं, यूं हर किसी को इंसान कर लेते हैं! गुस्सा सर चढ़ जाए तो कत्ल हैं आपका, पर दिल से गुजरे तो सबर कर लेते हैं! बारीकियों से ताल्लुक कुछ ऐसा है, न दिखती बात को नजर कर लेते हैं! हद से बढ़कर रम जाते हैं कुछ ऐसे, आपकी कोशिशों को असर कर लेते हैं! मानते हैं उस्तादी आपकी, हमारी, पर फिर क्यों खुद को कम कर लेते हैं? मायूसी बहुत है, दुनिया से, हालात से, चलिए फिर कोशिश बदल कर लेते हैं! एक हम है जो कोशिशों के काफ़िर हैं, एक वो जो इरादों में कसर कर लेते हैं! मुश्किल बड़ी हो तो सर कर लेते हैं, छोटी छोटी बातें कहर कर लेते हैं! थक गए हैं हम(सफर) से, मजबूरी में साथ खुद का दे, सबर कर लेते हैं!