मुस्करा के अपने दर्द बयां करते हैं, यूँ लोग अपनी ज़िंदगी मकाँ करते हैं। खींच ली है जमीं पैर नीचे से, हम हैं के फिर भी सफ़र करते हैं! मुश्किल में मदद की जरूरत पड़ती है, हम मुश्किल में भी, सबकी मदद करते हैं! फौज को फ़ज़ा कर दिया है कश्मीर की, अब ज़ज़्बे से हम ये आबोहवा करते हैं! कश्मीर जग़ह नहीं सिर्फ हमारी वज़ह है, यूँही नहीं ये बात हम खूँ से बयां करते हैं! कश्मीर आइये आपको कश्मीरियत मिलेगी, अपनी मुश्किलों को हम नहीं दुकां करते हैं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।