यूँ भी किसी के शुक्रगुज़ार न रहो, न कर्ज़ बनो ओ' न उधार ही रहो! हमसफ़र हैं सभी इस दुनिया में, कभी कि सी के गुनहगार न रहो मेरी मर्ज़ी थी सो मैंने कर दिया, मर्ज़ी तुम्हारी तलबगार रहो न रहो! अपने ही यकीन के साथ जीते हैं, बेचते हैं क्या, के खरीददार न रहो? ये एहसानों का धंधा बड़ा पुराना है, खुदगर्ज़ी से तुम मददगार न रहो! किसी की ख़ातिर कुर्बानी फ़िज़ूल है, दिल-ओ-ईमान के दुकानदार न रहो! आसानी से आपको उस्ताद बना दे, बाज़ारी तालीम के खरीददार न रहो! हर एक शख्श अपने तय रास्ते पर है, औरत है सिर्फ़ यूँ सिपहसालार न रहो! सही-गलत ही सिर्फ़ दो सच बचे हैं, ज़िंदगी के इतने तंग समझदार न रहो! मुक्तलिफ़ ज़मीन है सबके तज़ुर्बों की फ़क्त अपनी सोच के ज़मींदार न रहो!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।