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सितंबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दो बच्चे साफ़!

दो बच्चे, बुरे या अच्छे? झूठे या सच्चे? आपके या अनाप के? जात के या "छी! दूर हट" क्या उनका गुनाह हुआ? क्यों हिंदू थे? या "वो वाले हिंदू?" वही यार! समंझ जाओ! जिनका कोई कुछ नहीं कर सकता! हां हां! वही अछु...  नहीं नहीं दलित!  हा हा हा हा हा हा !!! इनका कुछ नहीं हो सकता,  ये सुधरेंगे!! (भारत माता की जय सच पर स्वच्छ की विजय) हां!! तो क्या हुआ, दो से कौनसे कम हो जाएंगे, नाली के कीड़े! अरे, उफ ये बदबू,  पोट्टी कर दी क्या  ये तुम्हारा लाड़ला, करा कर नहीं निकलीं थीं! उफ! जरा गाड़ी रोको (चीईईईईईईईईई!) चलो बदलो इसका डाइपर, (2 मिनिट) हो गया, चलो अरे! ये डाइपर फेंको यहाँ, नहीं है डस्टबिन तो क्या करें! फेंको इधर ही सड़क पर, ड्राइवर चलो! ज़रा ब्लोअर चलाओ, बदबू भर गई! हां ! मैं क्या कह रहा था?

पूरी सुबह!

 खूबसूरत एक सुबह देखी, मस्त अपनी पहचान लिए, बिना कोई हलकान लिए, बिखरी हुई जगह जगह, न कोई मंजिल, न कोई वजह, घाँस के तिनकों पर,  फूलों के मनकों पर झुरमुट पर,  मिट्टी को लाल किए, पत्तों के गाल लिए, चलती भी साथ में, रुकी हुई बरसात में झरनों की गुनगुन में मकडी की बन बुन में, पूरी मेरे साथ आ गई, किसी को छोड़ कर नहीं, कोई दिल तोड़ कर नहीं, काश हम भी यूँ हो पाए, अपने भी और उनके भी, बिन टूटे टुकड़ों में, पूरे जितने भी हैं, सफ़र है, मोड़ आएंगे, मुड़ जाएंगे!

अरे! गलती हो गई!

साहेब साहिल (नौजवान, दोस्त) ने पूछा,  "सीखने के सफर में गलतियां क्या होतीं हैं?  ... --- फिर आप कहेंगे कि, गलतियाँ क्या होती हैं? तो, मेरे हिसाब से जब मैं कुछ करूँ  और उसका मुझे बहुत पछतावा ओर अफसोस हो वो गलती ही लगती है।" (और हम बह गए, सोचा थोड़ा और बहुत कुछ कह गए!) जबाव का बिन बेसब्री इंतज़ार करें, अपनी सोच को ज़रा कम घुड़सवार करें, लगाम थामें रहिए अपने अफसोस कि! आदत नहीं अच्छी, भाषा दोष की, जितनी अपने में देखेंगे उतनी दूसरों में नज़र आएगी।  आपकी सोच, आपकी बोली, तराजू बन जाएगी! गलती किस से नहीं होती? आप क्या खास हैं? खाते कोई स्पेशल विदेशी घाँस हैं? गलती हुई है तो सुधार लीजे (किसी ने रोका है क्या?) कभी ख़ुद से कभी उनसे माफ़ लीजे! पछतावा, अफसोस, पछतावा, कोई समझाए,  दे कोई दिलासा वादे इरादे उमीदें कसमें, ख़ुद ही अपने जाल में फंस के कौन सा तीर मार लेंगे? अगर नहीं पहुंचे जहां जाना है, तो क्यों बहाना है? क्यों पछताना है? लगता है आप वक़्त के धनी हैं, सोचते रहने की आपसे खूब बनी है! अगर-मगर, किंतु-पर

गुफ़्तगू!

चंद्रयान - इतनी तैयारी से निकली थी, पर यहां हालात बदल गए कश्मीर - पूरी तैयारी से आए थे पूरे हालात बिगाड़ दिए चंद्रयान - अचानक ही सब कुछ हो गया कश्मीर - लगता तो यही था, पर सच्चाई कुछ और है अब समझ आया चंद्रयान - अभी भी सब लगे हुए हैं हमारा हालचाल जानने के लिए कश्मीर - चप्पे चप्पे पर तैनात है,  चंद्रयान - आज नहीं तो कल कश्मीर - एक जैसे हैं आज और कल चंद्रयान - पूरे देश की उम्मीदें टिकी हैं कश्मीर- पुरे देश से उम्मीद टूटी है,  चंद्रयान - फिर भी ये ऐतिहासिक कदम है कश्मीर- जो काली स्याही से लिखा जाएगा चंद्रयान - कितने आँसू बहे, कितनी सांत्वना कश्मीर- कितने आँसू सुख गए, कितनी आँखे बंजर हुईं चंद्रयान - मिशन फेल नहीं हुआ कश्मीर-  इंसानियत पास नहीं हुई चंद्रयान - कामयाबी की तरफ एक और कदम कश्मीर- अब कोई ऑप्शन नहीं बचा चंद्रयान - कितनी मेहनत, कितने लोगों का पसीना बहा है कश्मीर- इरादा और नीयत, बोला कुछ, कुछ और किया है चंद्रयान - पूरा देश मेरे लिए परेशान है कश्मीर- आईने से पूछते हैं क्या हम इंसान हैं चंद्रयान - तुम हर बात को उल्टा देखते हो कश्मी

आज़ाद गुलाम!

आज़ाद होंगे वो जिनकी आखों पर पर्दे हैं , बात उनकी करें जिनके पास दिल है, गुर्दे हैं ? कितने आज़ाद हैं जो सलाखों के पीछे हैं, अपने यकीन से अपने इरादों को सींचे हैं! आज़ाद घूमते हैं हरसू कितने जो ग़ुलाम हैं मुँह पर किसी और कि नफ़रत के पैग़ाम हैं! आज़ादी है किसी को तो ख़बर है, उगल रहे हैं जितना भी जहर है! क्या किसी का हम बिगाड़ लेंगे? पैरों के नीचे से जमीं उखाड़ लेंगे? भीड़ आज़ाद है, उसके मुंह खून लगा है, अनेकता में एकता का नया तौर चला है! हजारों बहादुर आज़ादी से डर गए हैं, कितने गुनाहों को खामोशी कर गए हैं! कितने कायर जो गुलामी से डरते हैं, बेशर्म सब अधिकारों की बात करते हैं!