सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दिशा और दशा!

क्या इस देश की दशा हो गई है क्या इस देश की दिशा हो गई है? ताकत तो हमेशा से ही नशा थी, अब अवाम की सज़ा हो गई है! सोचो मत, बोलो मत, देखो मत, देशप्रेम की ये इल्तज़ा हो गई है! खामोशियाँ बहरा न कर दे सबको, कुछ ऐसी आजकल हवा हो गई है! बहका दो नफ़रत से या चुप कर दो, नौजवानी जैसे कोई सज़ा हो गई है! इस दौर कोई भी मासूम कैसे हो? मुख़ालिफ़त ही गुनाह हो गई है! बस? अपनी अपनी सोच के सब क़ाबिल, राय मेरी, सच की जगह हो गई है!