क्या इस देश की दशा हो गई है क्या इस देश की दिशा हो गई है? ताकत तो हमेशा से ही नशा थी, अब अवाम की सज़ा हो गई है! सोचो मत, बोलो मत, देखो मत, देशप्रेम की ये इल्तज़ा हो गई है! खामोशियाँ बहरा न कर दे सबको, कुछ ऐसी आजकल हवा हो गई है! बहका दो नफ़रत से या चुप कर दो, नौजवानी जैसे कोई सज़ा हो गई है! इस दौर कोई भी मासूम कैसे हो? मुख़ालिफ़त ही गुनाह हो गई है! बस? अपनी अपनी सोच के सब क़ाबिल, राय मेरी, सच की जगह हो गई है!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।