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तीन कदम

गुम हो, गुमसुम हो, रास्ते नहीं मिलते कदम हिचक रहे हैं इरादे खामोश हैं ये कौन मंजिल है? ये क्या हासिल हैं? क्यों मझधार साहिल है, कहां जाएं? पहला कदम! मान जाएं, हवा, पानी,  फूल पत्ते, हरियाली, नील गगन सूरज के आते-जाते अदभुत रंग, आपके लिए है, दुनिया इस ढंग दूसरा कदम, जान जाइए, आप मिट्टी से जुड़े हैं ठीक उसी तरह,  जैसे हर जीवन, सब की यहीं जड़ें हैं, हर एक अधूरा है, मिलकर सब पूरा है, कोई कम नहीं, किसी से, किसी वजह से, किसी भी, तो अब जब चल दिए हैं, पहला कदम, दूसरा भी तीसरा कदम, पहचान जाइए, रास्ते चलने से बनते हैं, चलते चलते रास्ते बनते हैं। चलिए आप अपने सफर, फिर कहीं मिलते हैं!

रास्ते कहिन!

  रास्ते हैं, जिंदगी से यही अपने वास्ते हैं, कहां पहुंचेंगे, ये सवाल बेमानी है, मोड़ आयेंगे,  मुड़ जाइए, कभी भटक जाएंगे कभी खो जायेंगे, ढूंढने आपको रास्ते ही आयेंगे रास्ते आपको कम नहीं करते, न ही साथ छोड़ते, कभी लड़खड़ाए, कभी छिल गए घुटने रास्ते बस कह रहे रुकने, संभलने, जरूरत समझ बदलने! भागते क्यों हैं? करिए अपने कदमों का यकीं!

कौन पहचान!

एक छत चार दीवार घर  गली शहर सुबह शाम चार पहर वास्ते किसके, किससे, साथ, रिश्ते दोस्ती आसमान, जमीन, पेड़ पौधे रंग हजार, ऊंची उड़ान, गले मिलती हवा  धूप सहलाती वास्ते किसके किससे! साथ रिश्ते दोस्ती ये धरा आपकी क्या है आपकी पहचान?