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सितंबर, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ग़ूम, गुमां, गुमनाम!

तमाम मसलें हैं किस-किस को बयां करें, नज़र खुद पर, क्यॊं और क्या गुमां करें ! दर्द अपना है, या कोई भुला हुआ सपना है , आप नहीं समझेंगे आपको अभी चखना है!  कुछ इस तरह से अपनी पहचान होती है , तस्वीरॊं से हकीकतें कुछ गुमनाम होती हैं ! तमाम खेल जिंदगी के हमने भी खेले हैं, सफ़र ज़ारी है, और भरते हुए झोले हैं! ताक लगाये बैठे हैं सब कि कब मामूली होगे, आप कहिये अब इस दुनिया से कैसे निभायें! फ़ुर्सत से बैठे कि फ़ुर्सत कब मिले, बड़ी तस्सली से अब इंतेज़ार चले! खबर हो न हो, मुस्तैद अपनी नज़र है, देखें किस मोड़ आज आपका सफ़र् है हमारा खुदा कोई नहीं, हम फिर भी दुआ करते हैं, मर्ज़ खोजेंगे किसी दिन, चलो पहले दवा करते हैं!

सोती सभ्यता!

खोज, शोध, अविष्कार, तलाश परिपक्व, पुर्ण, सम्पुर्ण तक पहुँचने का विचार जीवन का अर्थ पाने के लिये, जीवन का तिरस्कार? कमजोरियॊं को अलग कर, पुर्णता पाने का प्रयास? पर सोचो! बिना अंधकार प्रकाश का क्या अर्थ मृत्यू नहीं तो कौन तलाशेगा, जीवन-अर्थ सरल सा विचार है,  Nothing is Perfect अर्थ?  कुछ भी पुर्ण नहीं, परिपक्व नहीं अनर्थ समझ-समझ की बात है! प्रकृति के साथ हमारी दौड़ में प्रकृति को पीछे छोड़ने की होड़ में ज्ञान के अंहकार में कहीं हम सब कुछ नज़रअंदाज़ तो नहीं‌ कर रहे ? इस तेज़ रफ्तार जिंदगी में हम कुछ ज्यादा आगे तो नहीं‌ निकल आये? जरा पीछे जायें! पुरानी कहावत है “जो बोओगे, वही काटोगे" पर आज कल गंगा उल्टी बह रही है हम ने काट लिया है अब बो रहे हैं ऐसा नही लगता ___? हम इस सभ्यता में भी सो रहे हैं?

अतिशुन्य - गतिशुन्य

“Nothing” is perfect अर्थात 'कुछ नहीं' ही पुर्ण है क्योंकि "कुछ नहीं" में कुछ भी नहीं‌ होता कुछ हो तो वो "कुछ नहीं" नहीं होता और, मनुष्य के पास सब कुछ होकर भी कुछ न कुछ नहीं‌ होता शुन्य अपने आप में पुर्ण है उसे बड़ने घटने की आस नहीं इसी कारण शुन्य का गुणा नहीं भाग नहीं पर मनुष्य को है आगे निकलने की होड़ करता है शून्य के साथ भी जोड़ तोड़ पर हमारी दृष्टि शुन्यता देखो हम शुन्य होने का तैयार नहीं उसकी सहभागिता हमें स्वीकार नहीं मनुष्य को अपनी गलतियों का अंहकार है पुर्णता ढूंढता है पर शून्यता से इंकार है छोटे मुंह, बड़ी बात है पर न चाहें तो भी अपने कर्मों पर अपना अधिकार है और प्रदुषण मस्तिष्क का हो या वातावरण का आजकल जो भी हमारा हाल है शुक्र है जाने-अंजाने लगता है हमारा शून्य होने का विचार है