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अक्तूबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेहमान नवाज़ी!

उनकी दुआ में जिक्र हमारा था, खुदगर्ज़ जुबां से आमीन निकले! सरहदें जिनको ख़ामी नहीं करती, दोस्ती दिल से ओ दुआ आमीन निकले! अपनों की ये क्या शिकायत है, क्यों अज़ीज़ अजनबी निकले! न कोई गिला न शिकायत कोई, बड़े अपने, सब अजनबी निकले! हमसफ़र सब अजनबी थे, बड़े आसां ये सफर निकले! दिल जीत लिए,बड़े, शातिर मेहमाँ निकले! अज़ीज़ सारे इतेफ़ाक़ निकले दिलों के सब साफ़ निकले

गज़ल निस्वां !

इस ज़माने के ये चलन निराले हैं,  मर्द सारे गम के गीत गानेवाले हैं?                                       इकारार की इल्तज़ा और जोर, ता-ज़िन्दगीं साथ निभाने वाले हैं? आदम की दुनिया है, समझे हम, हव्वा है हम दिल बहलाने वाले हैं! जो भी निशान हैं हमारे जिस्म पे, कौन अपनी पहचां बताने वाले हैं? रगों में खून है ओ दिल धड़कन है, कौन सुनता किसको सुनाने वाले हैं? बेटी, बहन, बहू, मां, सब जली हैं, हम कब इनके रास्ते आने वाले हैं? दो चार हाथ ही तो मारे हैं, बाद में चांद-तारे लाने वाले हैं! न जमीं, न ही आसमां अपना है कहां इस दुनिया से जाने वाले हैं? बहुत् शरीफ़ हैं वो कैसे भूलाएं उनके एहसान सब गिनाने वाले हैं, हम फ़क्त अपने सपनों के बांझ है, गुड़्डे-गुड़िया खेल पुराने वाले हैं!   हमारे अफ़सानों का भी दौर हो, दुनिया से मर्द कब जाने वाले हैं? बात उनकी थी अज्ञात ये तो, कौन किसको बताने वाले हैं? (गज़लों के बारे में सोच रहा था, और गाने वालों के बारे में, ज्यादातर मर्द, अपने दर्द की हंसी दास्तां बयान करने वाले। मन में ये सवाल आया कि मर्दों कि दुनिया में मर्दों के दर्द बकते भी हैं और बिकते भी हैं। गणित

अज़नबी हमसफ़र Ajnabi Humsafar

हम भी इन्सान वो भी इन्सान मिले तो सब हमसफ़र निकले हम भी कोई कम शरीफ़ नहीं , वो भी बड़े नेक नज़र निकले! हम गये थे मेहमान बनके खास बड़े मेज़बान निकले! अपनी ही ज़ुबां थी सबकी , अंजान से यूँ पहचान निकले! सोचा था दोस्ती का हाथ दें गले मिले ओ गिले - शिकवे निकले! ज़हन में कई नाप थे अपने सब अपने तराजु तुले निकले! अजनबी हम , अज़नबी शहर में गैर थे सब , जो अपने निकले! हर कोई मुस्करा के मिला, गोया हम इतने हसीं निकले! Hum Bhi Insaan, Vo Bhi Insaan Mile to Sab Humsafar Nikale! Hum Bhi Koi Kum Sharif Nahin, Vo Bhi Bade NekNazar Nikle! Hum Gaye The Mehmaan Banke Khaas Bade Mezbaan Nikale! Apni Hi Zuban Thi Sabki, Anzan Se Yun Pehchan Nikle! Socha Tha Dosti ka Haath Den Gale Mile O Gile-Shikve Nikle! Zahan Mai Kai Naap The Apne Sab Apne Tarazu Tule Nikle! Aznabi Hum, Aznabi Shahar mai Gair The Sab, Jo Apne Nikle! Har Koi Muskaraa Ke Mila, Goya Hu