उनकी दुआ में जिक्र हमारा था,
खुदगर्ज़ जुबां से आमीन निकले!
सरहदें जिनको ख़ामी नहीं करती,
दोस्ती दिल से ओ दुआ आमीन निकले!
अपनों की ये क्या शिकायत है,
क्यों अज़ीज़ अजनबी निकले!
न कोई गिला न शिकायत कोई,
बड़े अपने, सब अजनबी निकले!
हमसफ़र सब अजनबी थे,
बड़े आसां ये सफर निकले!
दिल जीत लिए,बड़े,
शातिर मेहमाँ निकले!
अज़ीज़ सारे इतेफ़ाक़ निकले
दिलों के सब साफ़ निकले
खुदगर्ज़ जुबां से आमीन निकले!
सरहदें जिनको ख़ामी नहीं करती,
दोस्ती दिल से ओ दुआ आमीन निकले!
अपनों की ये क्या शिकायत है,
क्यों अज़ीज़ अजनबी निकले!
न कोई गिला न शिकायत कोई,
बड़े अपने, सब अजनबी निकले!
हमसफ़र सब अजनबी थे,
बड़े आसां ये सफर निकले!
दिल जीत लिए,बड़े,
शातिर मेहमाँ निकले!
अज़ीज़ सारे इतेफ़ाक़ निकले
दिलों के सब साफ़ निकले
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