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अप्रैल, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

डेफ़िनेशन-ए- स्वाति !

स्वाति  एक  हसीन ज्वालामुखी अंदर  पिघला हुआ,  बाहर  ठोस, मजबूत नर्म  भी गरम भी  बे और शरम भी! स्वाति साथ   ख़ालिस  सौ फ़ीसदी  जब आपके पास हैं, तो आपके पास ही, आपही ख़ास भी, आपही रास भी ! स्वाति जज़्बात   हूँ! क्या कहिए ! एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है, एक समंदर है, तर के, तैर के  साहिल को साथ लिए! स्वाति सौगात   ये पूछने की क्या बात? जानो, बूझो, समझो! अगर ख़याल है  फिर क्या सवाल है ? चकित करो! इंतज़ार क्यों? "रसिकपण च . . . .नाही" स्वाति शेफ़ जो है वही, सही! मुमकिन रवैया  परिभाषाओं के परे  नींबू, इमली, आम,  एक साथ कई काम,  गुठली के दाम,  आज़ादी का नाम  कॉफी की लहक,  चॉकलेट की चहक,  अहा! क्या महक ! और एक जाम बस, ज़रा बहक ! स्वाति मुलाक़ात   हाँ, ज़रा ठहरिए, अभी व्यस्त हैं, खुद से मिलने में,  और आप कौन? चलिए पहचान बनाऐं, ...... ...... पर! उसके लिए मिलना होगा! ज़रा ठहरिए! "अज्ञात" इसीलिए 'मित्र' है !! स्वाति कान   सब सुनते हैं,  आहट, चाहत राहत, बगावत,  सच ओ बनावट

सवाल क्या है?

जवाब तो मिल ही जाएगा सवाल क्या है? है न? क्यों तलाश करते हैं के मिसाल क्या है? मज़ाल क्या है! सवाल आपकी पहचान  और जवाब दुनिया की मान! सवाल रास्ता है, आपका अपने सफर से वास्ता है,  कहाँ चले? अगर आपके पास सवाल नहीं हैं, तो क्या मुमकिन,  आप किसी का जवाब बने हैं! सवाल तलाशिए,  जो हैं उनको तराशिए  तरकश खाली क्यों? सवाल सारथी हैं,  जवाब पहिऐं  आप क्या कहिए ?

रोशनी की साज़िश

तमाम रोशनी,  रास्ता रोशन करते! रास्ते किसका? कौनसा? किसके वास्ते? और जो दिख नहीं रहे? रोशनी के एकछत्र राज्य से, गुमनामी का शिकार, उन रास्तों का क्या? रोशनी चौंधियाती है,  मरीचिका,  आपको बुलाती है, और वो भी सतरंगी! चुनने की चुनौती,  और दौड़ में,  आगे रहने की पनौती, क्या आप अपने अंधेरों को जानते हैं? उनसे बात करते हैं या फिर जज़्बात? फिर कौन सी रोशनी चुनेंगे? कौन सा रास्ता? अपने अंधेरों को सुनेंगे या  चमक को गुनेंगे ? अंधेरों में आईने नहीं बोलते,  आप और आपके सच,  साथ  होते हैं, और  आप आप होते हैं! बाहर की रोशनी चमक है,  अंदर होगी तो आप रोशन होंगे! आपकी क्या समझ है?