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देख - ए लुक!



इंसान देख

बहुत सारा मकान देख,

जंगल बन गए दुकान देख,

सीढियां कहाँ तक ले जाएगी?

बना और, और थोड़ी,

और देख,



जंगल घरों के देख,

हर तरह के, 

हर रंग में

ढंग में बेढंग में,

कोई छोटे, कोई बड़े

कुछ शोर करते 

आंखों में, देख देख,



कुछ चुपचाप, विनम्र,

कुछ ताड़ की तरह,

कुछ बौने सबके सामने,



उम्मीद देख,

अरमान देख,

अना ओ अभिमान देख,



शान देख,

जीजान लगा दी,

जीवन की कमाई देख?

देख क्यों?



किसलिए?

इस सब की जरूरत देख,

जरूरत की व्यथा देख,

देख, सोच अन्यथा देख,

छूटा भरोसा देख,

झूठा दिलासा देख,

दिल बहलाने को ,

ग़ालिब ये घर देख!



देख इंसान बस,

इंसानियत मत देख!

डर देख, 

अगर देख, मगर देख,

बाजार का कहर देख,

बिकने को तैयार,

बेचने को तैयार,

कौन है ख़रीददार देख?



बादल देख, बारिश देख,

कुदरत की गुजारिश देख,

क़ायनात की नवाज़िश,



देख सकता है तो देख,

शहर बना कर, 

बढ़े बड़े घर बना, 

कहाँ पहुंच रहे हैं देख?

इतनी तरक्की की है,

चाँद वाली, मार्स वाली,

गति देख, गत देख?

जहां जा रहे है

उस कल की सूरत देख?



अभी भी वही लड़ाई है,

अभी भी जीतना है?

वही पुराना डर,

कोई न बैठे हमारे सर?



देख देख देख,

मान सके तो मान मूरख,

अपने को कमजोर मान,

हाथ जोड़, सर झुका,

हर लम्हे को तोहफ़ा मान,

अपनी चलती सांस देख,



ख़ूबसूरत है बहुत दुनिया,

बंद कर दौड़

फुर्सत से देख!






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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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