चलो थोड़ी और नफ़रत करते हैं,
खून में अपने ज़रा ज़हर भरते हैं,
ज़िंदगी में सफल होने का ये प्रधान मंत्र है!
शाह और मात के खेल में हिंसा शाषन तंत्र हैं!
नफ़रत की गोदी में हिंसा पलती है,
समय आने पर ज़हर उगलती है!
नफ़रत काम आसान करती है,
भीड़ को हिंदू मुसलमान करती है,
जिसकी सरकार उसकी धौंस,
लोकतंत्र बहुमत का खेल है,
जो कम है वो फेल है!
शाश्वत सत्य यही बात है,
जो कम है वो उसका बुरा कर्म है,
बुरे की हार है,
यही हिंदुत्व व्यवहार है!
चलो फिर दिल में नफ़रत जगाओ,
हिंसा का अलख जगाओ,
अगर अपनी नफ़रत पर तुम्हें शान है,
तो यही सच्ची भक्ति की पहचान है!
श्रेष्ठ कुल रीत सदा चली आई,
नफ़रत ही ने जात चलाई,
जो कम है वो अक्षम है!
ढोर गंवार शुद्र पशु तन है!
तिरस्कार इनका है जरूरी,
बराबरी से रखो दूरी!
भारत को हिंदू स्थान करो,
धर्म नाम पर पाप करो,
पापों का जो घड़ा भरे,
धुल जाए सब गंग तरे!
निर्भय हो तुम वीर बनो,
नफ़रत के तुम तीर बनो!
रीढ़ अपनी कर दो अर्पण,
बुद्धि अपनी भेंट चढ़ाओ,
मार किसी को अमर बन जाओ!
रामराज में रम जाओ!
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