क्योँ आसमानी बुलंदी पर नज़र है,
गर आपके इरादॊं में जिगर है?
क्या इरादे आसमान चाहिये,
या बस इसाँ आसान चाहिये?
एक काबिल अंदाज़ चाहिये
या सर कोई ताज़ चाहिये?
सामने सफ़र है पीछे घर है,
काहे को पुकार चाहिये?
तमाम सलाहियतें और खुब कमियां
नज़र जरा नज़रअंदाज़ चाहिये
युँ ही दुरियाँ कम नहीं होतीं (जमीं आसमान की)
पलकें थोड़ी सी नम चाहिये!
झोली भरने को नहीं, संभलने को है
फ़कीरी में क्यॊं गोदाम चाहिये?
जो मिला है वो काफ़ी हो,
काहे किसी को राम चाहिये?
गर आपके इरादॊं में जिगर है?
क्या इरादे आसमान चाहिये,
या बस इसाँ आसान चाहिये?
एक काबिल अंदाज़ चाहिये
या सर कोई ताज़ चाहिये?
सामने सफ़र है पीछे घर है,
काहे को पुकार चाहिये?
तमाम सलाहियतें और खुब कमियां
नज़र जरा नज़रअंदाज़ चाहिये
युँ ही दुरियाँ कम नहीं होतीं (जमीं आसमान की)
पलकें थोड़ी सी नम चाहिये!
झोली भरने को नहीं, संभलने को है
फ़कीरी में क्यॊं गोदाम चाहिये?
जो मिला है वो काफ़ी हो,
काहे किसी को राम चाहिये?
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें