मेरी जन्नत हैं और मुझे नसीब हैं , कुछ ऐसे ही मेरे अज़ीज़ हैं , अपने इरादों के पूरे यकीन हैं , नज़ाकत के अपनी ज़हीन है चुप नहीं , खामोशी उनका यकीन है , यूँ अपने हुनर के बड़े नामचीन हैं , तेवर में आये तो इल्ज़ाम संगीन हैं चंद लम्हों में तबीयत के रंगीन है , हर लम्हा ज़ज्बा - ओ - ज़बीं हैं यार के मेरे शौक बड़े हसीं हैं मीठे मर्ज़ी के , बाकी खट्टे - नमकीन हैं , रोज़ दावत है ज़ो आप खास शौकीन हैं तमाम चीज़ है मोहब्ब्बत एक हुनर भी है , एक उस्ताद है तो एक शागिर्द भी है ! काफ़िर है खुदा को फ़िर हाफ़िज़ कौन है , अपनी ही गुमानिओं से वाकिफ़ कौन है खुदमुख्तयार है पर अकेले चलना नागवार है , रिश्तों के मालिक मेरे खूब होशियार हैं !
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।