मंदिर यहीं बनाएंगे, मूरख कौन समझाएंगे,
लौटते में बुद्धू कई घर फ़ूँक आयेंगे!
दुनिया बड़ी भ्रष्ट है आपको बड़ा कष्ट है,
फ़ासीवादी ताकतों से पर क्यों एड़जस्ट है!
शब्द का फ़ेर है, देर है अंधेर है,
जागे हैं आप या अभी थोड़ी देर है!
कमल से कीचड़ निकलेगी संभल के धरिये,
ग्ंदगी फ़ैलाने का इससे बेहतर तरीका क्या?
समझ समझ का फ़ेर है ये आम है कि बेर है,
चश्मे उतार के देखिये ये देर नहीं अंधेर है
चारों और चमकती है, आज कल रोशनी बिकती है,
कोई भी अखबार देख लीजे वो तस्वीर किसकी है
हमारा सच एक,धर्म एक, मालिक एक,
दूसरा कुछ भी हमारे त्रिशूल को भेंट!
लौटते में बुद्धू कई घर फ़ूँक आयेंगे!
दुनिया बड़ी भ्रष्ट है आपको बड़ा कष्ट है,
फ़ासीवादी ताकतों से पर क्यों एड़जस्ट है!
शब्द का फ़ेर है, देर है अंधेर है,
जागे हैं आप या अभी थोड़ी देर है!
कमल से कीचड़ निकलेगी संभल के धरिये,
ग्ंदगी फ़ैलाने का इससे बेहतर तरीका क्या?
समझ समझ का फ़ेर है ये आम है कि बेर है,
चश्मे उतार के देखिये ये देर नहीं अंधेर है
चारों और चमकती है, आज कल रोशनी बिकती है,
कोई भी अखबार देख लीजे वो तस्वीर किसकी है
हमारा सच एक,धर्म एक, मालिक एक,
दूसरा कुछ भी हमारे त्रिशूल को भेंट!
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