'गजब' हो गया, इतनी सी बात से बस कि
तुमने खुद को मालूम होने दिया कि
तुमने खोज लिया है, और इस बार
एक फ़ैसला, अब उसे छोड़,
एक कदम भी, आगे नहीं जाने वाला,
गजब, अब अजब नहीं,
वो झुक के पानी पीना, रस्ते किनारे
और दुआ करना, और दो बूंद आंसू गिरना
वो यादें जो संभाली हैं और
ये एहसास, कि ये खामोशी इस लिये नहीं कि
आँख कान को दूर रखें उस मकाम से जो
तुम्हें बचाएगा, तुम्हें हांसिल है, अब वो
ताकत, जाने-देने उस धूल से लदे
प्यासे फ़कीरी सच को जो
तुम्हें यहाँ तक लाया है, चलते हुए
टेढी कमर, झुके सर
और तुम्हें सजग करते खुलासे से
(डेविड वाईट के 'द मिरेकल हेड कम' को पकड़ने की एक कोशिश)
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