फांसले अब भी आसाँ हैं
नज़दीकी अब भी मेहमान
इश्क के मुसाफ़िर हम हमसफ़र,
आज हम जवान हैं
फांसले दूर नहीं करते
नज़दीकी मज़बूर नही करती
इश्क के मुसाफिर हमसफ़र
अपनी एक जुबां है
करवटें अब भी नादाँ हैं
इश्क अब भी शरीर
एक काहिल और एक काबिल
बात बाक़ी है
इश्क जायज़ है
रिश्ता नाजायज़
तमाम वज़ह
ज़ारी आज़माइश
रास्ते एक हैं
फ़ितरतें अलहदा
इश्क के मुसाफिर हम हमसफ़र
अपनी एक अदा है
हमसफ़री के १८-१९
जवाँ हुए हैं इन दिनों,
हमतलबी के शिकार,
अपने मर्ज़ों की हमदवा हैं!
साथ-सफ़र का सामान क्या
वादों की जरूरत क्या
तज़ुर्बे सब रस्ते मिलेंगे
और सस्ते, मुश्किलें
इरादे अब भी नादाँ हैं,
इरादे अब भी आसाँ हैं,
इरादे अब भी झांसाँ हैं,
इश्क के मुसाफ़िर,
इरादे अब भी सामाँ हैं!
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