पंसारी की दुकान है उपर आसमान में, हाथ उठे हैं और सबको सामान चाहिए! काम फ़कीरी का ज़रा आसान चाहिए क्यों दुआ माँगें के सुख-सामान चाहिए! क्यों लाउड़स्पीकर भर भजन, इबादत है? नेमत बरस रही है आपको कान चाहिये! लॉटरी वाले का नाम भगवान चाहिए, मन्नत पूरी होना ज़रा आसान चाहिए! क्यों शोर मंदिर-मस्जिद-गिरजे में इतना है, काफ़ी नहीं के सबको इंसान होना चाहिए? बस एक फ़िक्र के दोनों हाथों में लड़्ड़ू हो, भगवान चाहिए या सिर्फ़ भगवान...! चाहिए? हाथ खड़े कर रख्खे हैं मंदिर के भगवान ने, आज़ादी के लिये शायद इंसान चाहिए! सुना, सब कुछ संभव है इंसान चाहे तो, बस गुंड़े, दलाल, ओ लाठी बंदूक चाहिए!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।