पेट भर के बात की उम्मीद क्या करें
साथ उम्र भर को दो लम्हा कान चाहिए!
जब देखो लगे है सब गधामजूरी में
कहते है ज़िन्दगी में आराम चाहिए!
दिन कैसा भी गुजरे हर किसी का
जी चाहे सुहानी हर शाम चाहये!
क्यों किसी से बैर चाहिए,
सबको अपनी खैर चाहिए
इतनी जलदी नउम्मीदी,
कुछ होने देर-सबेर चाहिए
ज़मीं, ज़मीं पर है, और उपर आसमान
किसको खबरें पड़कर परेशान चाहिए?
कौन दूर है हमसे कौन आ गया है पास
ज़िदगी ज़ीना है या इसका हिसाब चाहिये
हाँ नही तो, हम नहीं होते यूँ उदास,
आईने में नज़र अपने पास चाहिए!
जेब में अपनी भगवान चाहिए,
उम्मीदों को मुफ़्त दुकान चाहिए,
मन हुआ तो सामने हाज़िर हो,
किस्मत सबको अलादीन चाहिए!
काम चाहिए, नाम और आराम भी,
अपने ही पोस्टर लगे बाज़ार चाहिए!
साथ उम्र भर को दो लम्हा कान चाहिए!
जब देखो लगे है सब गधामजूरी में
कहते है ज़िन्दगी में आराम चाहिए!
दिन कैसा भी गुजरे हर किसी का
जी चाहे सुहानी हर शाम चाहये!
क्यों किसी से बैर चाहिए,
सबको अपनी खैर चाहिए
इतनी जलदी नउम्मीदी,
कुछ होने देर-सबेर चाहिए
ज़मीं, ज़मीं पर है, और उपर आसमान
किसको खबरें पड़कर परेशान चाहिए?
कौन दूर है हमसे कौन आ गया है पास
ज़िदगी ज़ीना है या इसका हिसाब चाहिये
हाँ नही तो, हम नहीं होते यूँ उदास,
आईने में नज़र अपने पास चाहिए!
जेब में अपनी भगवान चाहिए,
उम्मीदों को मुफ़्त दुकान चाहिए,
मन हुआ तो सामने हाज़िर हो,
किस्मत सबको अलादीन चाहिए!
काम चाहिए, नाम और आराम भी,
अपने ही पोस्टर लगे बाज़ार चाहिए!
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