हर वज़ह पानी है,
हर जगह,
कितने मानी हैं,
रोक रहा है रस्तों को, ओ
कहीं सफर की रवानी है,
कभी हवा है,
कभी मौसम,
रंग भी नहीं, कोई,
ढंग भी नहीं,
शिकायत भी है,
ओ जश्न भी,
कभी सवाल है,
कहीं मलाल है,
कहीं हिमालय है,
कभी आपका गाल है,
किसी का तीर,
किसी को ढाल है,
कहीं गंगा नाला,
हलक सूखा निवाला
घाट घाट का,
कभी चुल्लू काफी,
कभी पानी पानी
आपकी हक़ीकत,
अपनी ही कहानी,
नज़र आ रहा है क्या,
और किसकी है निशानी!
हर जगह,
कितने मानी हैं,
रोक रहा है रस्तों को, ओ
कहीं सफर की रवानी है,
कभी हवा है,
कभी मौसम,
रंग भी नहीं, कोई,
ढंग भी नहीं,
शिकायत भी है,
ओ जश्न भी,
कभी सवाल है,
कहीं मलाल है,
कहीं हिमालय है,
कभी आपका गाल है,
किसी का तीर,
किसी को ढाल है,
कहीं गंगा नाला,
हलक सूखा निवाला
घाट घाट का,
कभी चुल्लू काफी,
कभी पानी पानी
आपकी हक़ीकत,
अपनी ही कहानी,
नज़र आ रहा है क्या,
और किसकी है निशानी!
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