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सर्वे सन्तु भारतीय!

यकीन अलग थे,
ज़मीं वही थी,
ये किसी की चाल थी,
या यही चलन है, अब?
मैं,
मैं क्यों नहीं रह सकता?
सिर्फ इसलिए के आप, आप हो?
किसी के बेटे, किसी के बाप हो?
या सिर्फ
एक क़ातिल तहज़ीब की छाँप हो?
राम का नाम हो और,
फन फैलाये सांप हो?
और आप, और आप,
आप भी,
शरीफ़ हो, ख़ामोश हो,
या गाय का दूध पी मदहोश हो?
माँ कसम, क्या नशा है?
ये कौनसे दर्द की दवा है?
या माहौल है, हवा है?
मानना है
क्योंकि 'सरकार' ने कहा है?
यानी, जो नहीं कहा है,
आप आज़ाद हो गए,
वहशियत के डर से?
या इस यकीन से के
ऊपर वाले के दरबार में,
पीठ थपथपाई जाएगी,
आपकी भी बारी आएगी।
"प्रभु, आपका नाम ऊंचा किया,
इसने सर नीचा किया,
जब भीड़ ने जुनैद का तिया-पाँचा किया!
शाबाश पुत्र, तुमने राम का नाम किया,
तुम्हें स्वर्ग मिलेगा,
5 स्टार चलेगा!"?
"और प्रभु,
इन्होंने तो आप की लाज बचा ली,
इन्होंने इंसानियत से ज्यादा मान आपका किया,
पहलू और अख़लाक़ का काम तमाम किया,
पूरे समय इनके ओठों पर एक ही नाम था,
जय श्रीराम था,
वाह, वाह,
इन्हें तो प्रभु अपने वाम पक्ष में स्थान दीजिए,
इनको यम का नाम दीजिए"
.........
सर्वो सुख़न्तु समथिंग समथिंग,
सर्वे सन्तु मारतिया,
गर्व से कहो हम भारतीय!
http://indianexpress.com/article/opinion/columns/junaid-my-son-4729828/

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