सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या जानें, कौन माने!!

जो आंखें देखती हैं, वही आंखें दिखती हैं! बात किस की है? ये सवाल किसका है? ये हाल किसका है? यूँ मलाल किसका है? जो देख रहा है, उसे देखते हैं! सच, अलग अलग देखते हैं! एक ही बात कहाँ है, इतना बड़ा जहां हैं? आप कहाँ पहुंचे, और वो रास्ता कहाँ है? मुसाफ़िर कई हों, रास्ते पर, पर सफ़र एक नहीं, असर? अंजाम? नज़र देखती है, नज़रिये से, ये ही ज़रिया है, आपका क्या? कहाँ पहुँचे हैं? पहुँचना कहाँ हैं? किस बात से तय? ओ तय बात क्या है? हूँऊं, ओह, क्या, वाह, अच्छा, शायद, याने, हज़ार ख़याल मन में, क्या जानें, कौन मानें?

जाने दो!

"ऐसे कैसे जाने दें" ये सोच न आने दें रोकें अपने आप को टोकने से और कदमों को जाने दें आगे गहराई है, डूबने, चढ़ने की, सच्चाई है, कड़वी लगाम नहीं, चाल बदलना, रणनीति है, न की 'हाथ खड़े' न ही 'चिकने घड़े' मढ़ें, अपने सच, गढ़ें नहीं, लड़े नहीं अपने रस्तों से, बदलें, गिरें संभलें मुड़ें, जुड़ें, क्षितिज से वहाँ जहाँ होती है ज़मीन आसमान आसमान ज़मीन सच सही गलत अच्छे बुरे बीच घुटे नहीं! आपकी राय, एकतरफ़ा हो जुटे नहीं, नकारने सपना, दमतोड़ता कोने में आपके दिल के, "जाने दो" ये सोच न आने दो!

सुबह सवाल!

जो हाथ में नहीं वो साथ क्यों मुश्किल छोड़ना ये बात क्यों? क्यों कहते हैं रास्ते साथ नहीं, रास्ते चलते हैं और आप नहीं? सवाल क्यों शिकार बन रहे हैं? जवाब क्यों हिसाब बन गए हैं? बात अपनी ही अपने से करिए, आप ही रस्ता, अपना यकीं करिए!! जो पुराना नहीं क्या वो नया है? क्या जुड़ा ओ क्या खो गया है? आपके कदमों में रास्ते छुपे हैं, क्या आप अपनी ज़मीं से जुड़े हैं? सफ़र में दर्द भी और गर्त भी, नए मोड़ और हमसफ़र भी! क्यों अपने ही इरादों से लड़ते हैं? ग़ुमराह हक़ीकत, आगे चलते हैं!

रास्ता मुसाफ़िर!

मुसाफ़िर, कोई रास्ता नहीं है! आपके कदमॊं कि निशान हैं बस! मुसाफ़िर, कोई रास्ता नहीं है!! आप चलिए और वही आपका रास्ता है,  आगे बढिए और अपना रास्ता बनिए,  मुड कर देखिए और जानिए, आ पहुँचे, वो मोड़? फिर कभी उस पर न जाना हो, मुसाफ़िर, कोई रास्ता नहीं है समंदर में किसी नौका की टिमटिमाती रोशनी है! बस! - एंटोनियो मचाडो की मशहूर स्पेनिश कविता 

रास्ते खोज़ के!

उंचे उठिए , विशाल रचनाकार और दुनिया आप के साथ कम होइये और सब और थोडे कम हो जायेंगे उभरिए , विशाल रचनाकार अपनी बेशकीमती को गले लगाइए थोड़ा और कमर कसिए और कायनात भी उभर जाएगी ठहरिए , विशाल रचनाकार आपकी ताकत आपके अंदर है , अपनी संभावना से न डरें , डरावनी सरहद को लांघ लें हिम्मत से आगे बढें , विशाल रचनाकार आगे महानता है , दिलदार होइए और आपकी रूह गुनगुनाएगी सच रहिए , गज़ब महारथी रास्ते कभी खत्म नहीं होते अपनी मुस्कराहट से बल लीजिए नए मोड़ों से गुजरते वक्त साथी हो जाइए , सब महारथी , साथ में तेज है , ताकत है , एक दूसरे का आसमान बनिए ये साथ सब को बुलंद करेगा क्यों कम होते हैं , प्रिय महारथी अपने बचपन को गौरवान्वित करिए , अपने सच को पालिए , जी लीजिए , निडर , निर्भीक बनिए , शोर करिए ! - एक इंग्लिश रचना से अनुवादित जिसके कवि का नाम ज्ञात नहीं!

आज़ादी किस से!!

जिसकी ताकत उसके अच्छे दिन, झूठ मर्ज़ी के सच बनाने के दिन , जुर्रत! क्यों आज़ादी की बात करते हो? इन सवालों से आप आज़ादी बर्बाद करते हो!! समझिए, बूझिए, पूछिए, जूझिए! सवाल ही सिर्फ़ सच पहचानते हैं!! आज़ादी का ऐसा नशा, जंज़ीरें नहीं दिखतीं! तस्वीरों से खुश हैं सब, फूटी तकदीरें नहीं दिखतीं! तमाम फ़कीरी मज़हबी लकीरों में सिमटी है, उसूलों की किसी को गऱीबी नहीं दिखती? जो हमराय नहीं होता वो रक़ीब है, कब से सोच के हम इतने तंग हो गए? ये कैसी आज़ादी आयी, सब के सब रज़ामंद हो गए? मुगालते में सब के हम आजाद हैं, यकीं उनका जिनके सर पर ताज है! किसकी मज़ाल जो कहे आज़ादी नहीं है? मन में आये वो बोलोगे देशद्रोही कहीं के?