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सच सुनाएं या बच्चे मुस्कराएं?


ठक ठक ठक,

लेफ़्ट राइट लेफ़्ट राइट,

ढाएं, ढाएं, ढाएं,

बच्चे - अम्मी, बहुर डर लग रहा है

गोलियां चल रही हैं?

https://www.instagram.com/p/B1ddPWylIcR/?igshid=1goo4duli7fg5

इतना पहरा क्यों हैं?

????????????

स्कूल ?


क्यों इंटरनेट मुँह चिढाता है?

ईद?

और और और)

अम्मी -

(गहरी सोच में)

सवाल हजारों

जवाबों की खोज में

सब बंद है,

मौत सी खामोशी

चार दीवार दुनिया बन गई है,

जैसे सरकार कब्र की दीवारें चुन गई है



फ़िर भी बच्चों को कैसे बहलाएं,

कैसे उनको मुस्कान दिलाएं,

झूठ ही सही उनका मन बहलाएं



बहुत सोच कर


टी.वी - रिमोट

चैनल – दूरदर्शन

समाचार -

ताजा खबरों में

कश्मीर में सब सामान्य!


अब बच्चे मुस्कराएंगे?


आप आईना देख पाएंगे?







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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

जिंदगी ज़हर!

जिंदगी ज़हर है इसलिए रोज़ पीते हैं, नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है? मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं, कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है! चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें, यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है! नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है, पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है! हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी, सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है? चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़, सांस चलने से झूठा गुमान होता है! नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया, इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है! हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है, डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जा ता है।