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भूल-चूक, लेनी-देनी!


जो गुज़र गया एक ख्वाब था
जो रह गयी एक याद है!

जो गुज़र गयी एक आस थी
जो रह गयी एक प्यास है!

जो कह डाली वो बात है,
जो बची वो तन्हा रात है!


जो मिल गया एक साथ था
जो खो गया वो प्यार है?

जो ठहर गया एक पल था
जो गुज़र गया वो वक्त है!

जो टूट गया एक तार था,
जो रह गई एक झंकार है!

जो है वोही सब हालात हैं,
संभले नहीं वो जज़्बात हैं!

तुम हो तो सारी बात है, 
जो नहीं तो वोही बात है!

जो दब गई वो आवाज़ थी,
जो बच गई वो खमोशी है!

टिप्पणियाँ

  1. Har 1 line K context mein mere life incidents k image flash ho rahe the jab main read kar rahi thi.
    And us hi hisaab se emotions bhi change ho rahe the
    Fascinating

    जवाब देंहटाएं

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साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

गाज़ा की आवाज़!

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