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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुछ होना है!

"कुछ होना है" खेल है, दुनिया का! आप खिलौना हैं! सच तमाम है,  झूठ बोलते, उसके सामने आप बौना हैं! आप कम है, क्योंकि कोई ज्यादा है, खेल घिनौना है! कंधे किसी के सीढ़ी किसी को कामयाबी भी बोझ ढोना है! तराज़ू किस के, नाप किसका बाज़ार बड़ा है, आप नमूना हैं! रंग फीका है, ऊंचाई टीका है, वज़न ज्यादा कम मुश्किल होना है! "मैं" पहचान, पीड़ा, अभिमान, बड़ी तस्वीर, आप एक कोना हैं!

पहचानें!!

अपनी नजर से खुद को देख पाएं कभी ऐसा एक आइना बना पाएं! शोर बहुत है मेरी नाप तौल का , कोई तराज़ू मेरा वज़न समझ पाए? छोटा बड़ा अच्छा बुरा कम जादा, वो सांचा कहां जिसमें समा जाएं? नहीं उतरना किसी उम्मीद को खरा! जंजीरें हैं सब गर आप समझ पाएं! मुबारकें सारी, रास्ता तय करती हैं, 'न!' छोड़! चल अपने रास्ते जाएं!! वही करना है जो पक्का है, तय है? काहे न फिर बात ख़त्म कर पाएं? अलग नहीं कोई किसी से कभी भी, ज़रा सी बात जो ज़रा समझ पाएं!!

आसान मुश्किल!

ये जो मेरे जमीन आसमान हैं, ये ही मेरे सपनों के सामान हैं! मुझे कहां पंख लगते हैं, उड़ने? वहीं हूं जहां मेरे अरमान हैं! वो ढूंढे जमीं जो आसमान हैं! पैर कहते हैं पुरानी पहचान है!! फिक्र कहां, कब कहां पहुंचेंगे? चल दिए, वही अपना अंजाम है! खोए हैं, अपनी ही तलाश में, कौन कहता है काम आसान है? बनावट, दिखावट, सजावट सब, महंगा सामान ओ सस्ती दुकान है! अक्स है वो, सब जो तराशते हैं! कब समझेंगे बदलता मकान है!