अपनी नजर से खुद को देख पाएं
कभी ऐसा एक आइना बना पाएं!
शोर बहुत है मेरी नाप तौल का ,
कोई तराज़ू मेरा वज़न समझ पाए?
छोटा बड़ा अच्छा बुरा कम जादा,
वो सांचा कहां जिसमें समा जाएं?
नहीं उतरना किसी उम्मीद को खरा!
जंजीरें हैं सब गर आप समझ पाएं!
मुबारकें सारी, रास्ता तय करती हैं,
'न!' छोड़! चल अपने रास्ते जाएं!!
वही करना है जो पक्का है, तय है?
काहे न फिर बात ख़त्म कर पाएं?
अलग नहीं कोई किसी से कभी भी,
ज़रा सी बात जो ज़रा समझ पाएं!!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें