ये जो मेरे जमीन आसमान हैं,
ये ही मेरे सपनों के सामान हैं!
मुझे कहां पंख लगते हैं, उड़ने?
वहीं हूं जहां मेरे अरमान हैं!
वो ढूंढे जमीं जो आसमान हैं!
पैर कहते हैं पुरानी पहचान है!!
फिक्र कहां, कब कहां पहुंचेंगे?
चल दिए, वही अपना अंजाम है!
खोए हैं, अपनी ही तलाश में,
कौन कहता है काम आसान है?
बनावट, दिखावट, सजावट सब,
महंगा सामान ओ सस्ती दुकान है!
अक्स है वो, सब जो तराशते हैं!
कब समझेंगे बदलता मकान है!
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