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बहुत दूर की बात!


इंसानियत का दूरियों से गहरा नाता है,
मणिपुर दूर है, गाज़ा नजर नहीं आता!

  
औरत की इज्ज़त बहुत जरूरी होती है,
पर जंग की अपनी मजबूरी होती है!!



बच्चे वैसे तो सारे ही भगवान हैं,
पर गाज़ा में तो सब "मुस्लमान" हैं?


आसमान से खाना, खाने पर बमबारी,
नफ़रत हद पार तो बन गई बीमारी!


मणिपुर और गाज़ा दोनो ही ख़बर नहीं हैं,
कब्र हैं तमाम किसको फिकर नहीं है!



सच नंगा है ऊपर से मर्दानगी का धंधा है,

इज्ज़त लूट रही है और बाकी हाल चंगा है!


शराफत का इस दौर में न करो तकाज़ा
आप के कोई नहीं जो निकला जनाजा!
खबरें वो होती हैं जो सच बताएं,
सच वो है जो सरकार बताएं!

सरकार शातिर है, झूठ बोलती है,
क्या है आज की ताजा खबर?
बताएं?

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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