कुछ फरक नहीं पड़ता
अगर
मेरे होने का
क्या असर होगा मेरे खोने का
पर कुछ इतना आसान नहीं
काट रहे हैं खुद को
वक़्त कहाँ अब बोने का
रास्ते पर चल रहे हैं
पर मुसाफिर कहाँ हैं?
क़ैद अपनी, अपना जहाँ है!
मुड कर देखा,
क़दमों के निशां हैं,
कैसे मिटायेंगे
गुजरे भी तो नामोनिशां हो जायेंगे
खुद को खोकर,
ढूँढना है....
बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंPowerful. Could relate to it.
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