सब की मिल्कियत खेल बन गयी है नंगी हकीकत जेल बन गयी है, लगे हैं फर्श को चमकाने में, संगमरमर पर तेजाब बह रहा है उन रंगों को धोने में जो हमारी संस्कृति को पीलिया ग्रस्त दिखा रहे हैं, तेजाबी धुंए में कैमरे और कलम से सेंध लगाते मदहोश खबरी ब्रेकिंग न्यूज़/breaking news पर झूम रहे हैं, पैदल दूरियों पर निराशा, गुस्सा, कुंठा दूषित सांसे ले रही है जुकामी बच्चे अपनी बीमारी का स्वाद लेते कचरे के मैदान में पिचकी, तिरस्कृत गेंदों को आसमान दिखा रहे हैं ये किसी की दौलत नहीं, सबकी कॉमन वेल्थ है ये खेल तो चलता रहेगा. आप तमाशे की तैयारी करें खेल भावना मत भूलिए और जूते पहन कर जाइए अगर छत गिरती है तो भागना मत भूलिए क्या आप इन खेलों का हिस्सा बनने को तैयार हैं? तो चलिए कलम-आडी करिये, साथी हाथ बढाना ....
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।