सब कहते हैं शमां जला देती ही परवानों को,
कौन कहे कि शमां को जलाया किसने है ?
मर्द को औरत पर कितना प्यार आया है
दिल नहीं टूटे किसी का हरम बनाया है!
वो सहें दर्द तो उनकी नियति है
आप करते अहसान, कि जिनकी गिनती है?
कहने को तो इश्क में हर चीज़ जायज़ है
फिर क्यों कर किसी कि हस्ती नाजायज़ है?
गले में मंगल माथे पर सिन्दूर
कहीं सुना था प्यार को बंधन नहीं मंजूर!
हर शहर में चमड़े का धंधा होता है
सच कहा किसी ने प्यार अंधा होता है?
'अवसर' आने पर उनको पूज लेते हैं
असर मर्दानिगी में इज्जत भी लुट लेते हैं?
कभी कहते बला है कभी अबला
बन गयी कमजोरी तो दल बदला
दूध का दूध, पानी का पानी
मिलावट नहीं है, अर्थात जनानी
आँचल में दूध है, आँखों में पानी (मानवता के बेहतर अर्धांश को समर्पित)
BAHUT HI BEHTAREEN...
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