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मेरा भारत महान !


भारत एक देश है

या बेबसी में वैश्या बनी माँ का भेष है

एक ही सच का सब ऐश है

हर मुश्किल का हल सिर्फ कैश है

लो कर लो बात!

बदलाव को क्या चाहिए

लात या हाथ,

मज़बूरी के हाथ, ताकत की लात,

कुछ लोग मनवा लेते हैं अपनी हर बात ,

गरीबों हटाओ, मंदिर बनाओ

सवाल ?

देश नक़्शे में खिंची लकीरों से परिभाषित है

या रहने वालों की आशाओं से उजागर

या पस्त हुई सांसों में अस्त

बड़ी सड़कें, ऊँचे मकान, सुगर फ्री पकवान,

विदेशी कंपनियां, अप्रवासी भारतीय मेहमान,

मेड इन इंडिया सामान विदेशों में बिकता है,

गेहूँ गोदामों में फिंकता है

आज हमारा बाजार गरम है

बस शर्त इतनी है की

त्वचा गोरी ओर नरम है,

हाँ, हैं कुछ लोग

जो तरक्की के साथ नहीं चल पा रहे

नींद नहीं आती, इसलिए सपने भी नहीं आ रहे,

जाहिर है,

देश को आगे ले जाना है तो,

नज़र अंदाज़ करना होगा!

उस वर्ग को,

जो अपनी भूख को ही खा रहे,

सच है, गरीबी भी एक नशा है,

एक बार चरस छुट जाये, पर गरीबी,

ये नशा, जो ना करवा दे वो कम,

माँ, बेटी को सजा रही है,

ये भारत देश है

या बेबसी में वैश्या बनी माँ का भेष है!

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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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