कामयाबी
पैरों में बंधी एक जंजीर है,
कैद करती एक तस्वीर है
अपेक्षाओं की लक्ष्मण रेखा
आकांक्षाओं का रुख करी हवा
एक का सवा,
निन्यानवे का फेर,
कहीं कुछ, अगर-मगर,
सवालों के ढेर,
ऊंचाई पर नजर,
नीचे होती जमीं,
अब कामयाबी आपके सर लदा सामान है
कहीं खो ना जाये
इसी में अटकी जान है
देर सबेर या शायद अंधेर,
पक्के इरादे?
चट्टान हो सकते है
पर मुसाफिर और मेहमान नहीं,
जायके आदत बन जाएँ
तो असर नहीं होते
तय रास्तों पर सफर नहीं होते
कामयाबी को दूसरे रास्ते नजर नहीं होते
गलियां कभी दिखती नहीं
मोड़ अनजाने होते है
जो खोज में निकले
वो फितरत, दीवाने होते हैं
आप अगर कामयाब हैं तो
आपका रास्ता तय है
उस पर आगे जय है
उसके बगैर कुछ भी और भय है,
आगे आपकी मर्ज़ी
आपको कामयाबी कबुल है
या जिंदगी की गत बदलना आपका उसूल है!
सहमत.
जवाब देंहटाएंआपका भी ब्लॉग प्रिंट मीडिया पर : एक अखबार की अपील
अपेक्षाओं की लक्ष्मण रेखा
जवाब देंहटाएंआकांक्षाओं का रुख करी हवा
एक का सवा,
निन्यानवे का फेर,
सटीक अभिव्यक्ति ...अच्छी रचना ..