सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

आईये ! / The Invitation!

मुझे मत बताओ कि जिंदगी कैसे कटती है 
ये बताओ कि अंदर से आवाज़ क्या आती है,
और क्या वो सपने देखने की हिम्मत तुम में है,
जो तुम्हें अपने दिल की तड़प तक ले जायें? 


मुझे अपनी उम्र कि लंबाई नहीं बताओ,
ये कहो कि मुरख बनने का जोखिम उठा सकते हो?
प्यार के लिये, सपनॊं के लिये, जिंदगी जीने के रोमांच के लिये!


 क्या फ़रक पड़ता है कि तुम्हारे ग्रहॊं की क्या दशा है
ये कहो कि, 'अपनी दुखती रग' पर तुम्हारा हाथ है क्या?
जिंदगी की ठोकरॊं ने तुम्हे खुलना सिखाया है?
या आने वाले जख्मॊं के ड़र से तुम ने अपनी पीठ फ़ेर ली है?

जिंदगी से! 

जरा ये बताओ कि दर्द को, मेरे या तुम्हारे,
बिना कांटे, छांटे, छुपाए, निपटाये,
क्या तुम अपने साथ रख सकती हो?



जरा सुनूँ, क्या तुम आनंदित हो, मेरे या तुम्हारे लिये!
और क्या झुम सकते हो ऎसी दीवानगी से,
कि तुम्हारे हाथ-पैर के छोर हो जायें भाव-भिवोर
बिन संभले, बिन समझे, बिन जाने,
कि इंसा होने कि हदें होती हैं! 

तुम जो कहानी मुझे सुना रहे हो वो सच हो न हो,
ये कहो कि खुद का सच होने के लिये,
क्या किसी और की नाउम्मीदगी बन सकते हो,
और अपनी अंतरात्मा को सच होने के लिये
खुद झुठे होने की बातें सुन सकते हो?
मुझे जानना है, कि तुम भरोसा हो,
मेरी विश्वश्नियता का!


मैं ये समझना चाहता हुं,
रोज़मर्रा कि मनहुसियतॊं से परे होकर
क्या तुम खुबसुरती देख सकते हो?
और क्या तुम अपना जीवन, दिव्यता/दिव्यात्मा से सींच सकते हो?


ये कहो कि तुम नाकामयाबी का साथ दे सकते हो, मेरी या तुम्हारी
और उसके बावजुद झील के छोर पर खड़े हो,
उसकी पुर्णिमा की चांदी को पुकार सकते हो, 
“बस यही" !

मुझे ये मत बताओ कि तुम कहां रहते हो
और कितने पैसॊं के साथ
ये बताओ, एक हताश, परेशान रात से टुटे हुए,
बेबस और छलनी होकर उठने के बाद भी,
बच्चॊं के लिये जो जरुरी है वो कर सकते हो?


मुझे क्या मतलब कि तुम कौन हो, 
और अपना वर्तमान कैसे बने,
मुझे ये यकीन चाहिये,
कि तुम अंगारॊं के बीच खड़े हो सिमटोगे तो नहीं?

मुझे इस से क्या सरोकार कि तुमने, किससे, कहां,किसके साथ और क्या सीखा है,
मुझे ये देखना है अंदर से तुम्हें क्या सींचता है?
जब बाहरी दुनिया रेगिस्थान हो जाती है,
क्या तुम खुद के साथ अकेले रह सकते हो?
और उन खाली लम्हॊं में खुद का साथ,
क्या तुम्हें सच में रास आता है?


---ओरिया पहाड़ी स्वपनकार, अमेरिकन इंड़ियन के कहे अनुसार और मेरी समझ के दायरॊं से भाषांतरित
     ---by Oriah Mountain Dreamer, Indian Elder

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साफ बात!

  रोशनी की खबर ओ अंधेरा साफ नज़र आता है, वो जुल्फों में स्याह रंग यूंही नहीं जाया है! हर चीज को कंधों पर उठाना नहीं पड़ता, नजरों से आपको वजन नजर आता है! आग है तेज और कोई जलता नहीं है, गर्मजोशी में एक रिश्ता नज़र आता है! पहुंचेंगे आप जब तो वहीं मिलेंगे, साथ हैं पर यूंही नज़र नहीं आता है!  अपनों के दिए हैं जो ज़हर पिए है जो आपको कुछ कड़वा नज़र आता है! माथे पर शिकन हैं कई ओ दिल में चुभन, नज़ाकत का असर कुछ ऐसे हुआ जाता है!

मेरे गुनाह!

सांसे गुनाह हैं  सपने गुनाह हैं,। इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।। मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है, जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है! अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है, मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं! ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे, यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं! कबूल है हमको कि हम गुनहगार हैं, आराम से घर बैठे ये कहना गुनाह है!  दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना, बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है, जब भी जहां भी मासूम मरते हैं, उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!

गाज़ा की आवाज़!

 Translation of poem by Ni'ma Hasan from Rafah, Gaza, Palestine (https://www.facebook.com/share/r/17PE9dxxZ6/ ) जब तुम मुझे मेरे डर का पूछते हो, मैं बात करतीं हूं उस कॉफी वाले के मौत की,  मेरी स्कर्ट की जो एक टेंट की छत बन गई! मेरी बिल्ली की, जो तबाह शहर में छूट गई और अब उसकी "म्याऊं" मेरे सर में गूंजती है! मुझे चाहिए एक बड़ा बादल जो बरस न पाए, और एक हवाईजहाज जो टॉफी बरसाए, और रंगीली दीवारें  जहां पर मैं एक बच्चे का चित्र बना सकूं, हाथ फैलाए हंसे-खिलखिलाए ये मेरे टेंट के सपने हैं, और मैं प्यार करती हूं तुमसे, और मुझमें है हिम्मत, इतनी, उन इमारतों पर चढ़ने की जो अब नहीं रहीं,, और अपने सपनों में तुम्हारी आगोश आने की, मैं ये कबूल सकती हूं, अब मैं बेहतर हूं, फिर पूछिए मुझसे मेरे सपनों की बात फिर पूछिए मुझसे मेरे डर की बात! –नी‘मा हसन, रफ़ा, गाज़ा से विस्थापित  नीचे लिखी रचना का अनुवाद When you ask me about my fear I talk about the death of the coffee vendor, And my skirt  That became the roof of a tent I talk about my cat That was left in the gutted city and now meo...