हम वो तहज़ीब है जो सीता का राम करते हैं,
तेरी माँ की. . . . .बड़े एहसान करते हैं!
मेरी बहन की रक्षा की कसम खाई है
तेरी बहन की. . . आज़ बारी आयी है!
माँ-बहन है, आदर से प्रणाम करते हैं,
........... किसी और की,
चल पतली गली में तेरा काम करते हैं,
कहते हैं इश्क़ में हर चीज़ जायज़ है,
थोड़ी जबरदस्ती कि तो क्यों शिकायत है?
भुख-प्यास माँ से लिपटकर मिटाई है,
आदत है बुरी, क्या हुआ जो तु पराई है!
बापों से बदसलुकी की आदत आई है,
और माँओं ने अपनी खामोशी छुपाई है
स्त्री हमारा धन है, पुरुष मन है, जाहिर है,
औरत बिकती है और मर्द की मनमानी है!
मर्द की छेड़छाड़, उसकी नादानी है,
औरत का सड़कों पर होना बेमानी है!
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