आपस में आज अपना बँटवारा हो गया मैं मेरा हो गया , तू तेरा हो गया जिस ड़ाल पर बैठे बसेरा हो गया वो बैठा और बोला घर मेरा हो गया आँख खुली थी बस सबेरा हो गया कोई परेशान है सुना अँधेरा हो गया कहता है वो दुश्मन हमारा हो गया एक रिश्ता भगवान को प्यारा हो गया रास्ते ख़त्म नहीं होते किसी मोड़ भी दीवारों का फिर क्यों ये बसेरा हो गया लंबा सफ़र एक रस्ता और मकाम सारे एकदम क्यों मतलब सब दोहरा हो गया कैसा झगड़ा ये कि दिन मेरा हो गया सूरज निकला कैसा कि अंधेरा हो गया (2000 में रचित, सीमित सोच और असुरक्षित मानसिकता को श्रदांजलि स्वरूप )
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।