कुछ लोग दुनिया के औरत होते हैं
ज्यादातर तो सिर्फ बेगैरत होते हैं!
ज्यादातर तो सिर्फ बेगैरत होते हैं!
देवीओं के भजन और देवीओं का ही भोजन,
न सज्जन है कोई ढंग का, न ढंग का साजन!
कितने बेअसर अब सारे मर्द होते हैं,
दवा हो नहीं सकते फ़क्त दर्द होते हैं!
छाप मर्द की है और निशान औरत के,
बड़े फुजुल है कायदे तमाम शोहरत के
दबंग होना मर्दानगी और छिछोरापन तहज़ीब है,
क्या समझें अपनी कुछ रवायतें फ़िर अज़ीब हैं!
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होते,
बात अंदर की है,
मामले युँ सर्द नहीं होते,
युँ कि, जब हम इज़हार करते हैं,
क्या मज़ाल किसी की,
हम इंकार नहीं सुनते!
स्त्री धन है, बहुत मर्दॊं के लिये, बदन है,
बड़े फुजुल है कायदे तमाम शोहरत के
दबंग होना मर्दानगी और छिछोरापन तहज़ीब है,
क्या समझें अपनी कुछ रवायतें फ़िर अज़ीब हैं!
कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होते,
बात अंदर की है,
मामले युँ सर्द नहीं होते,
युँ कि, जब हम इज़हार करते हैं,
क्या मज़ाल किसी की,
हम इंकार नहीं सुनते!
स्त्री धन है, बहुत मर्दॊं के लिये, बदन है,
फिर भी क्यों मां बनती है, बढ़ा प्रश्न है?
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