अपने ही घर से निकाले गए
कहता है अब तक पाले गए
जैसा था सांचा ढाले गए
हम कहाँ वक्त के हवाले गए
झूट के जाल में जाले गए
हर सच पर अपने सवाले गए
अपने हाथों के निवाले गए
उनके हाथों में प्याले गए
कैसे ये आँखों को जाले गए
सारे उसूलों को लाले गए
रस्ता दिखे यूँ उजाले किये
उसने दरवाजों को ताले किये
[कई कई साल पहले, लोगों के छोटे दिल और सिकुड़े हुए दिमाग से प्रभावित होकर रचित]
कहता है अब तक पाले गए
जैसा था सांचा ढाले गए
हम कहाँ वक्त के हवाले गए
झूट के जाल में जाले गए
हर सच पर अपने सवाले गए
अपने हाथों के निवाले गए
उनके हाथों में प्याले गए
कैसे ये आँखों को जाले गए
सारे उसूलों को लाले गए
रस्ता दिखे यूँ उजाले किये
उसने दरवाजों को ताले किये
[कई कई साल पहले, लोगों के छोटे दिल और सिकुड़े हुए दिमाग से प्रभावित होकर रचित]
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