चलो
फ़िर एक साल हो गया
किसी
के हाथों इस्तेमाल
कौन
सी बड़ी बात है
जैसे
चल पड़ी कोई अटकी हुई रात है,
या
मुँह मांगी सौगात है
जख्म
किसका था फ़क़्त एक निशां हो गया
तमाम
उम्मीदें, चंद
हालात, और
बिखरे पल
चलने
को तैयार एक और झोला हो गया!
लम्हे
अधुरे रह गये उनका क्या कीजे
काबिल
कश्तियों को तिनका का दीजे,
बाकी
सब ठीक है यारब मेरे,
मनमर्ज़ी
कायनात को पैजामा का कीजे!
दिन
बदलने से तारीख़ नहीं बदलती,
करवट लेने से तासीर नही बदलती,
मंशा, ज़ज्बा, और तमाम कोशिशें
गिनती से कोई तामीर नहीं बदलती!
भेड़चाल है, फ़िर क्यों सवाल है,
मुबारक हो आपको नया साल है!
करवट लेने से तासीर नही बदलती,
मंशा, ज़ज्बा, और तमाम कोशिशें
गिनती से कोई तामीर नहीं बदलती!
भेड़चाल है, फ़िर क्यों सवाल है,
मुबारक हो आपको नया साल है!
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