याकूब चलिए गुनाह तय कर लें, आखिर हम सब फैसला हैं याकूब होना गुनाह है, बजरंगी नाम ही पनाह है संघ फैसला है, कायरों का होंसला है सच्चाई हिन्दू हो गयी है आप अपनी जाती बताइये क्योंकि हो सकता है, आपका सच अछूत हो, अब मुल्क, 'हम और वो' है, वो लोग, देशद्रोही हैं, जिनके सच हम पचा नहीं पाते, आज एक नयी सुबह होगी, आज़ाद सोच की सिकुड़ी जगह होगी एकमत होना तहज़ीब, शुक्र करिये, महंगाई के दौर में कुछ सस्ता हुआ, संविधान, न्याय कुछ खस्ता हुआ, बारिश का मौसम है, गरम चाय की चुस्की लीजिये, "सब को लटका दो" आपका देश आपको मुबारक हो! तीस्ता एक आवाज़ है खामोश नहीं होती सियासत गल्ली का कुत्ता बनी है भौंक रही है, काट नहीं पायी, पर अब पोलिस रेबीजी हो गयी है खतरा बड़ गया है आवाज़ फिर भी कम नहीं है बड़ रही है कुछ कानों पड़ रही है ये देख हुक्मरानों की नीयत और बिगड़ रही है अजीबोग़रीब मंज़र है जो अकेला है वो खड़ा है, बड़ा सच है और सच का बड़ा है और ताकत वाला छटपटाया सा है दाढ़ी में तिनका छुपाने की हज़ार कोशिश तीस्ता हाज़िर हों, सत्यमेव जयते vs सत्यमेव बिकते माया बजरंगी और इ
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।