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इन्साफ की अप्सरा

याकूब
चलिए गुनाह तय कर लें,
आखिर हम सब फैसला हैं
याकूब होना गुनाह है,
बजरंगी नाम ही पनाह है
संघ फैसला है,
कायरों का होंसला है
सच्चाई हिन्दू हो गयी है
आप अपनी जाती बताइये
क्योंकि हो सकता है,
आपका सच अछूत हो,
अब मुल्क, 'हम और वो' है,
वो लोग, देशद्रोही हैं,
जिनके सच हम पचा नहीं पाते,
आज एक नयी सुबह होगी,
आज़ाद सोच की सिकुड़ी जगह होगी
एकमत होना तहज़ीब,
शुक्र करिये,
महंगाई के दौर में कुछ सस्ता हुआ,
संविधान, न्याय कुछ खस्ता हुआ,
बारिश का मौसम है,
गरम चाय की चुस्की लीजिये,
"सब को लटका दो"
आपका देश आपको मुबारक हो!

तीस्ता


एक आवाज़ है
खामोश नहीं होती
सियासत गल्ली का कुत्ता बनी है
भौंक रही है, काट नहीं पायी,
पर अब पोलिस रेबीजी हो गयी है
खतरा बड़ गया है
आवाज़ फिर भी कम नहीं है
बड़ रही है
कुछ कानों पड़ रही है
ये देख हुक्मरानों की नीयत
और बिगड़ रही है
अजीबोग़रीब मंज़र है
जो अकेला है वो खड़ा है,
बड़ा सच है और सच का बड़ा है
और ताकत वाला छटपटाया सा है
दाढ़ी में तिनका छुपाने की हज़ार कोशिश
तीस्ता हाज़िर हों,
सत्यमेव जयते vs सत्यमेव बिकते


माया बजरंगी और इंसाफ़ की अप्सरा
सब माया है चाहे वो कोड्नानी क्यों न हो
बजरंगी बाहुबली है बाबू जी!
गब्बर सिंघ के पोते नाती
चुन चुन के मारते हैं,
होशियार, सब का मज़हब जानते हैं
ये उस तहज़ीब से हैं जहां,
आपका नाम आपको गुनहगार बनाता है
और आपका नाम आपको इन्साफ दिलाता है
इंसाफ की अप्सरा इनके ही वंश से आती है
तराजू भी इनकी ही कंपनी दिलाती है,
घर की सब बात है,
कानून के लंबे हाथ हैं,
इसलिए गले में हाथ डाल कर चलते हैं
माया बजरंगी शाह बंजारा मोदी
कानून की अप्सरा की बाँहों में पलते हैं!



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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

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