रिश्ते ज़ंजीर है किसी को
किसी को शमशीर हैं
मज़ाक हैं किसी को
किसी को पूड़ी खीर हैं
किसी को मज़बूर करते हैं
किसी को मजदूर
किसी को चकनाचूर
कोई फलता है,कोई पलता है
सही रस्ते चलता है
कोई घर से भाग निकलता है
कोई इंसाँ से बचता है
किसी को कुत्ता प्यारा है
कोई घोड़े का चारा है
कोई फूलों में रमता है
कोई उड़ान भरता है
बिन रिश्ते इंसान नहीं,
जरुरत पर भगवान बनाता है
मरे को शमशान बनाता है
मतलब का सामान बनाता है
बुढ़ापे की लाठी
घर की शोभा
छाती का बोझा
कलाई का धागा
मस्त माल
मख्खन जैसे गाल
बाजारू खरीद
दहेज़ के साथ मिली मुफ़्त चीज़
और रिश्ते खून के
थाली में मिली नून के
जी का जंजाल,
खाल के बाल
बोले सो सुनो
बड़े चुनते हैं
छोटे घुनते हैं
रिश्ते आज़ाद करते हैं
इरादों को बाज़ करते है
कामयाबी को ताज करते हैं
पीठ को हाथ करते हैं
अकेले में बात करते हैं
रिश्ते बांधते हैं रोकते हैं
पर काटते हैं,
आपस में बाँटते हैं
रिश्ते झगड़ते हैं, बिगड़ते हैं
गड़े-मुर्दे उखड़ते हैं
रिश्ते रास्ता हैं
गर आप मुसाफिर हैं
परंपराओं के काफ़िर हैं
लकीर के फकीर नहीं
चाल के वज़ीर नहीं
प्यादा भी हैं और राजा भी
बदलते मौसम का अंदाज़
दूसरे हाथों ढल जाएँ वो साज़
रिश्ते मुबारक हैं और शरारत भी
रिश्ते हम हैं आप हैं,
मानें न मानें, हमारे बाप हैं
चाहें न चाहें हमारे साथ हैं
जिम्मेदार बने तो अपने हाथ हैं
चाहें तो सौगात हैं
न चाहें तो आघात हैं
मुश्किल अकस्मात हैं
जो भी हो, आप अकेले नहीं
कहीं भी!
रिश्ते आप के साथ हैं
अब कहिये,
कैसी तबियत, क्या हालात हैं!
रिश्ते ज़ंजीर है किसी को
किसी को शमशीर हैं
मज़ाक हैं किसी को
किसी को पूड़ी खीर हैं
किसी को मज़बूर करते हैं
किसी को मजदूर
कोई फलता है,कोई पलता है
सही रस्ते चलता है
कोई घर से भाग निकलता है
कोई इंसाँ से रखता है
कोई इंसाँ से बचता है
किसी को कुत्ता प्यारा है
कोई घोड़े का चारा है
कोई फूलों में रमता है
कोई उड़ान भरता है
बिन रिश्ते इंसान नहीं,
जरुरत पर भगवान बनाता है
अपना काम आसान बनाता हैै
मतलब का सामान बनाता है
बुढ़ापे की लाठी
घर की शोभा
छाती का बोझा
कलाई का धागा
मस्त माल
मख्खन जैसे गाल
बाजारू खरीद
दहेज़ के साथ मिली मुफ़्त चीज़
और रिश्ते खून के
थाली में मिली नून के
जी का जंजाल,
खाल के बाल
बोले सो सुनो
कहे सो बनो, सपने
छोटे घुनते हैं
रिश्ते आज़ाद करते हैं
इरादों को बाज़ करते है
कामयाबी को ताज करते हैं
पीठ को हाथ करते हैं
अकेले में बात करते हैं
रिश्ते बांधते हैं रोकते हैं
हर नए कदम को टोकते हैं
पर काटते हैं,
आपस में बाँटते हैं
रिश्ते झगड़ते हैं, बिगड़ते हैं
गड़े-मुर्दे उखड़ते हैं
रिश्ते रास्ता हैं
गर आप मुसाफिर हैं
परंपराओं के काफ़िर हैं
लकीर के फकीर नहीं
चाल के वज़ीर नहीं
बदलते मौसम का अंदाज़
दूसरे हाथों ढल जाएँ वो साज़
रिश्ते मुबारक हैं और शरारत भी
लत लग जाए वो आदत भी
रिश्ते हम हैं आप हैं,
मानें न मानें, हमारे बाप हैं
चाहें न चाहें हमारे साथ हैं
जिम्मेदार बने तो अपने हाथ हैं
चाहें तो सौगात हैं
न चाहें तो आघात हैं
जो भी हो, आप अकेले नहीं
कहीं भी!
रिश्ते आप के साथ हैं
अब कहिये,
कैसी तबियत, क्या हालात हैं!
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