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रिश्ते मैं तो हम आपके.....

रिश्ते ज़ंजीर है किसी को
किसी को शमशीर हैं
मज़ाक हैं किसी को
किसी को पूड़ी खीर हैं

किसी को मज़बूर करते हैं
किसी को मजदूर
किसी को चकनाचूर

कोई फलता है,कोई पलता है
सही रस्ते चलता है
कोई घर से भाग निकलता है

कोई इंसाँ से रखता है
कोई इंसाँ से बचता है
किसी को कुत्ता प्यारा है
कोई घोड़े का चारा है
कोई फूलों में रमता है
कोई उड़ान भरता है

बिन रिश्ते इंसान नहीं,
जरुरत पर भगवान बनाता है
मरे को शमशान बनाता है
अपना काम आसान बनाता हैै
मतलब का सामान बनाता है
बुढ़ापे की लाठी
घर की शोभा
छाती का बोझा
कलाई का धागा
मस्त माल
मख्खन जैसे गाल
बाजारू खरीद
दहेज़ के साथ मिली मुफ़्त चीज़

और रिश्ते खून के
थाली में मिली नून के
जी का जंजाल,
खाल के बाल
बोले सो सुनो
कहे सो बनो, सपने
बड़े चुनते हैं
छोटे घुनते हैं

रिश्ते आज़ाद करते हैं
इरादों को बाज़ करते है
कामयाबी को ताज करते हैं
पीठ को हाथ करते हैं
अकेले में बात करते हैं

रिश्ते बांधते हैं रोकते हैं
हर नए कदम को टोकते हैं
पर काटते हैं,
आपस में बाँटते हैं
रिश्ते झगड़ते हैं, बिगड़ते हैं
गड़े-मुर्दे उखड़ते हैं

रिश्ते रास्ता हैं
गर आप मुसाफिर हैं
परंपराओं के काफ़िर हैं
लकीर के फकीर नहीं
चाल के वज़ीर नहीं
प्यादा भी हैं और राजा भी
बदलते मौसम का अंदाज़
दूसरे हाथों ढल जाएँ वो साज़

रिश्ते मुबारक हैं और शरारत भी
लत लग जाए वो आदत भी
रिश्ते हम हैं आप हैं,
मानें न मानें, हमारे बाप हैं
चाहें न चाहें हमारे साथ हैं
जिम्मेदार बने तो अपने हाथ हैं
चाहें तो सौगात हैं
न चाहें तो आघात हैं
मुश्किल अकस्मात हैं

जो भी हो, आप अकेले नहीं
कहीं भी!
रिश्ते आप के साथ हैं
अब कहिये,
कैसी तबियत, क्या हालात हैं!


रिश्ते ज़ंजीर है किसी को
किसी को शमशीर हैं
मज़ाक हैं किसी को
किसी को पूड़ी खीर हैं

किसी को मज़बूर करते हैं
किसी को मजदूर
किसी को चकनाचूर

कोई फलता है,कोई पलता है
सही रस्ते चलता है
कोई घर से भाग निकलता है

कोई इंसाँ से रखता है
कोई इंसाँ से बचता है
किसी को कुत्ता प्यारा है
कोई घोड़े का चारा है
कोई फूलों में रमता है
कोई उड़ान भरता है

बिन रिश्ते इंसान नहीं,
जरुरत पर भगवान बनाता है
मरे को शमशान बनाता है
अपना काम आसान बनाता हैै
मतलब का सामान बनाता है
बुढ़ापे की लाठी
घर की शोभा
छाती का बोझा
कलाई का धागा
मस्त माल
मख्खन जैसे गाल
बाजारू खरीद
दहेज़ के साथ मिली मुफ़्त चीज़

और रिश्ते खून के
थाली में मिली नून के
जी का जंजाल,
खाल के बाल
बोले सो सुनो
कहे सो बनो, सपने
बड़े चुनते हैं
छोटे घुनते हैं

रिश्ते आज़ाद करते हैं
इरादों को बाज़ करते है
कामयाबी को ताज करते हैं
पीठ को हाथ करते हैं
अकेले में बात करते हैं

रिश्ते बांधते हैं रोकते हैं
हर नए कदम को टोकते हैं
पर काटते हैं,
आपस में बाँटते हैं
रिश्ते झगड़ते हैं, बिगड़ते हैं
गड़े-मुर्दे उखड़ते हैं

रिश्ते रास्ता हैं
गर आप मुसाफिर हैं
परंपराओं के काफ़िर हैं
लकीर के फकीर नहीं
चाल के वज़ीर नहीं
प्यादा भी हैं और राजा भी
बदलते मौसम का अंदाज़
दूसरे हाथों ढल जाएँ वो साज़

रिश्ते मुबारक हैं और शरारत भी
लत लग जाए वो आदत भी
रिश्ते हम हैं आप हैं,
मानें न मानें, हमारे बाप हैं
चाहें न चाहें हमारे साथ हैं
जिम्मेदार बने तो अपने हाथ हैं
चाहें तो सौगात हैं
न चाहें तो आघात हैं
मुश्किल अकस्मात हैं

जो भी हो, आप अकेले नहीं
कहीं भी!
रिश्ते आप के साथ हैं
अब कहिये,
कैसी तबियत, क्या हालात हैं!











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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

अपने से लड़ाई में हारना नामुमकिन है, बस एक शर्त की साथ अपना देना होगा! और ये आसान काम नहीं है,  जो हिसाब दिख रहा है  वो दुनिया की वही(खाता) है! ऐसा नहीं करते  वैसा नहीं करते लड़की हो, अकेली हो, पर होना नहीं चाहिए, बेटी बनो, बहन, बीबी और मां, इसके अलावा और कुछ कहां? रिश्ते बनाने, मनाने, संभालने और झेलने,  यही तो आदर्श है, मर्दानगी का यही फलसफा,  यही विमर्श है! अपनी सोचना खुदगर्जी है, सावधान! पूछो सवाल इस सोच का कौन दर्जी है? आज़ाद वो  जिसकी सोच मर्ज़ी है!. और कोई लड़की  अपनी मर्जी हो  ये तो खतरा है, ऐसी आजादी पर पहरा चौतरफा है, बिच, चुड़ैल, डायन, त्रिया,  कलंकिनी, कुलक्षिणी,  और अगर शरीफ़ है तो "सिर्फ अपना सोचती है" ये दुनिया है! जिसमें लड़की अपनी जगह खोजती है! होशियार! अपने से जो लड़ाई है, वो इस दुनिया की बनाई है, वो सोच, वो आदत,  एहसास–ए–कमतरी, शक सारे,  गलत–सही में क्यों सारी नपाई है? सारी गुनाहगिरी, इस दुनिया की बनाई, बताई है! मत लड़िए, बस हर दिन, हर लम्हा अपना साथ दीजिए. (पितृसता, ग्लोबलाइजेशन और तंग सोच की दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए हर दिन के महिला संघर्ष को समर्पि

हमदिली की कश्मकश!

नफ़रत के साथ प्यार भी कर लेते हैं, यूं हर किसी को इंसान कर लेते हैं! गुस्सा सर चढ़ जाए तो कत्ल हैं आपका, पर दिल से गुजरे तो सबर कर लेते हैं! बारीकियों से ताल्लुक कुछ ऐसा है, न दिखती बात को नजर कर लेते हैं! हद से बढ़कर रम जाते हैं कुछ ऐसे, आपकी कोशिशों को असर कर लेते हैं! मानते हैं उस्तादी आपकी, हमारी, पर फिर क्यों खुद को कम कर लेते हैं? मायूसी बहुत है, दुनिया से, हालात से, चलिए फिर कोशिश बदल कर लेते हैं! एक हम है जो कोशिशों के काफ़िर हैं, एक वो जो इरादों में कसर कर लेते हैं! मुश्किल बड़ी हो तो सर कर लेते हैं, छोटी छोटी बातें कहर कर लेते हैं! थक गए हैं हम(सफर) से, मजबूरी में साथ खुद का दे, सबर कर लेते हैं!