सच बदल जाते हैं,
इरादों का क्या कहें?
जहर खुराक बन गयी है
जुबाँ नश्तर
ये भी एक दौर है
सर के बल चाल है,
पैर नया सामान हैं
पैर नया सामान हैं
ये भी एक दौर है
मौसम कमरों के अंदर सुहाना है,
ताज़ी हवा अब छुटटी बनी है
बड़ा छिछोरा दौर है
खूबसूरती अब रंग है,
सेहत पैमानाबंद है
ये तंगनज़र दौर है
आज़ादी क्रेडिट कार्ड है
सच्चाई फुल पेज़ इश्तेहार है
ये बाज़ारू दौर है
मोहब्बत सेल्फ़ी बन गयी है
ज़ज्बात ई-मोज़ी हैं
तन्हाई अब शोर है
ये मशीनी दौर है
सब कुछ तय चाहिए
न खत्म होता डर चाहिए
चौबीस सात खबर चाहिए
बड़ा कमज़ोर दौर है
मज़हब मवाद है, कड़वा स्वाद है
इस दौर का ये तौर है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें