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फ़रवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जेन कहावतें!

सेहत की नेमत मत मांगो, किसी ने पुराने समय में कहा, बीमारी कि परेशानी से, अच्छी दवा बनती है! बिन मुश्किल ज़िंदगी मत सोचो, आसान ज़िंदगी आलसी दिमाग और बिन सोचे धारणा बनवाती है, किसी ने पुराने समय में कहा, इस ज़िंदगी की बैचेनी और मुश्किलें गले लगा लो! तुम्हारी साधना में बाधाएं नहीं आयेंगी, हमेशा ये उम्मीद बेमानी है, रुकावट के बिना, सच की तलाश, ज़हन को थका देगी किसी ने पुराने समय में कहा, मुश्किलों में ही मोक्ष है! कठिन साधना में कुछ अनहोनी न हो, ये उम्मीद व्यर्थ है, अंजाने से बचना, कमज़ोर कोशश की निशानी है, किसी ने पुराने समय में कहा, कठिन साधना आसान बनाओ, सर सवार हर भूत को, दोस्ती का हाथ बढाओ! कुछ खत्म करने की ज़ळी न करो, आसानी से मिली चीज़, इरादों में सेंध लगाती है, किसी ने पुराने समय में कहा, जो कर रहे हो उसे पूरा करो, तमाम कोशिश करो! दोस्ती में फायदा मत सोचो, खुदगर्ज़ दोस्ती, यकीं को जख्मी करती है, किसी ने पुराने समय में कहा, "दिलसाफ दोस्ती दोस्ती को पोसती है" लोग तुम्हारी पीछे चलेंगे ये उम्मीद बेमानी है, लोग अनुयाई बन जाएँ तो आप घमं

देशद्रोही कौन?

देशभक्ति की हवा चली है, सब की तरह में भी भावनाओं में, बह गया हूँ, लगता है जो नहीं सहना था सह गया हूँ, देशभक्ति अब सड़कछाप गुंडागर्दी बनी है, कमजोर की आवाज़ उठाने वालों से ज़म कर तनी है सच हज़म कर सकते हैं तो सुनिए, आप हम सब देशद्रोही हैं, तरह तरह के आकार प्रकार में आते हैं, 1- देशभक्त देशद्रोही- ये हैं सबसे घातक देशद्रोही, इनके मुँह पे हमेशा भारत माँ का नारा है, ये भृष्ट हैं, गुंडे हैं, नेता, पत्रकार, खाकीधारी, भगवाप्रहरी, खुद आरोपी, खुद प्रहरी और कचेहरी! 2 - मूत्रमयी आज़ाद देशद्रोही - इनकी प्राथमिकता हर समय, हर जगह आज़ादी, ये अपने मूत्र को गंगा समझते हैं, और पुरे देश को रोज पवित्र करने का बीड़ा इनके हाथ है, उसी हाथ से ये बाकी काम भी करते हैं, ये अधिकतर मर्द होते हैं! 3- पूंजीवादी देशद्रोही - व्याख्या की जरुरत नहीं 4- टीवी देशद्रोही - ये सबसे ताजे देशद्रोही हैं, ताकतवर हैं, ये भगवान का बाज़ारी रूप हैं, 24 घंटे आपके रिमोट के अंदर रहते हैं ये पंडे हैं, आग और घी दोनों का मिश्रण इनको जीवन देता है! 5- मध्यमवर्गी देशद्रोही - ये गुस्सा में हैं, क्

देशद्रोही कहीं के!

हेलो  . . .  माईक टेस्टिग . . . हेलो चेक चेक चेक हेलो हेलो चेकिंग देशद्रोही चेक चेक   देश गहरे संकट में है,  चारों तरफ़ से खतरे के बादल मंडरा रहे हैं, खबर आयी है कि देश में देशद्रोही बड़ गये हैं,  कोई भी शक के दायरे से बाहर नहीं है,  आप मासूम नहीं सिर्फ़ इसलिये  कि आपकी कोई राय नहीं‌ है! अगर आपको देश से प्यार है,  तो मान कर चलिये हर कोई गद्दार है,  सरकार ने एक पत्रा फ़ॉर्मूला निकाला है,  बोलो, "भारत माँ की . . ." अगर नहीं बोल पाए तो आप देशद्रोही!  और अब तो देशभक्त होना भी आसान है,  एक झंड़ा और एक डंड़ा,  हाथ में रखिये,  झंड़ा उँचा रहे तुम्हारा, फ़िर जी चाहे उसको मारा, वंदे-मातरम का जोर नारा,  और माँ-बहन की गाली का सहारा,  देशभक्ति के लिये इतना तो वाज़िब है,  वैसे भी वेदों में कहा है,  जैसे को तैसा, खून का बदला खून से, भरम करो, करम की चिंता मत करो, और साथ ही, कुरान में,  क्षमा कीजिये, पुराण में लिखा है,  हिंसा परमो धर्मा,  उठा त्रिशूल मत शरमा!   मार हथौड़ा, मामला गरमा,  देश के नाम पर सब मरते हैं,   देशभक्ति का धंधा यूँ ही करते है,  या तो

दौर-ए-सियासत!

सरकार दीवार बन गयी है, व्यवस्था ज़ंजीर बनी है, जमूहरियत में कैसी ये, तानाशाह तस्वीर बनी है? गुलामी के दौर हैं, गुलामों की सियासत है, किसके मथ्थे जड़ें,  अज़ीब ये हालात हैं   ज़महूरियत तानाशाह बन गयी है, फ़ासिवाद की पनाह बन गयी है! डर सारे यकीन बन गये हैं, सच जिद्द बन गयी है ,सियासत की, ज़ुल्म है, जो बिन पूछे बगावत की! हर एक कत्ल जन्म देता है नफ़रत को,   ये कौन सी फ़सल की तैयारी है, कौन सी नस्ल की! रोज़ होते हैं, हर और हर हाल, गुनाह नहीं है तहज़ीब का सवाल! दुनिया गयी भाड़ में, तरक्की की आढ में, छाया काट रहे हैं, सब धूप के जुगाड़ में! सियासत साज़िश बन गयी है, फ़िरकापरस्ती नवाज़िश, इंकलाब की सिफ़ारिश है, खामोशी अब मुहलिक(Fatal) है!

गुरुज्ञान!

जो सीखा है वही सर चढ चीखा है, आजकल हर और शोर बहुत है!  हर और उस्ताद हैं, सब के सब आबाद हैं, फ़सल बनती है भेड़ों की, तालीम लाजवाब है! हाल सिखाते हैं, हालात सिखाते हैं, बात सिखाते हैं, दे लात सिखाते हैं, जात सिखाते हैं जज़्बात सिखाते हैं, कौन कहता है कि आप 'सिखाते' हैं? गुरु गोविंद दोऊ खड़े, मांगे अपनी फ़ीस,  ये ही दुनिया है चेले, सीख सके तो सीख! जात का पाठ पढा गुरू बनते हैं - हाथी के दिखते दाँत एक वो हैं जो घुंघरू  बनते हैं - हर कदम साथ उस्ताद! कहत कहत किस जात के, जड़मत हुए सुजान, बेशर्म 'उँची जात' कहें, न ज़ूँ रेंगे इन कान!   गुरु हुए तो क्या हुए जैसे पेड़ खजूर, तोता बन गये कई तो कोई बने लंगूर!  पैदा हुए से सीखें हैं, पढे गये तो सब भूल, एक गाँठ बाँध लाये सो, ड़ंड़ा पड़े सब कबूल

दुआ है...आमीन!

यकीन है आप अब भी आप होंगे, अपनी मुश्किलों के माई-बाप होंगे! वैसे ही दिल के साफ होंगे, अपनी चाहतों के पास होंगे! ज़िन्दगी गुज़र रही होगी रोज़ाना, और आप हर लम्हा एहसास होंगे! दुनिया बदल रही है तेज़ी से, रोज़ाना आप नए आइनों के खरीदार होंगे! ज़मीं सरकती है पैरों के नीचे, अक्सर इतेमाद!यक़ीनन अपने क़दमों पर होंगे! अपनी ज़रूरतों के तो सब दिलदार हैं, आप अपनी हमदिली के तलबगार होंगे! इस्तेमाल की चीज़ बनी हर खसुसियात, उम्मीद है आप ख़ासियत के बेकार होंगे! सारे रिश्ते और यारी फ़क्त एक 'एप' बने हैं, दुआ है आपके तरक्की से थोड़े गैप होंगे! सारी कामयाबी फक्त कमाई बनी है, ज़ाहिर है आप ऐसी आदतों के गरीब होंगे!