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जेन कहावतें!

सेहत की नेमत मत मांगो,
किसी ने पुराने समय में कहा,
बीमारी कि परेशानी से,
अच्छी दवा बनती है!


बिन मुश्किल ज़िंदगी मत सोचो,
आसान ज़िंदगी आलसी दिमाग
और बिन सोचे धारणा बनवाती है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
इस ज़िंदगी की बैचेनी और
मुश्किलें गले लगा लो!


तुम्हारी साधना में बाधाएं नहीं आयेंगी,
हमेशा ये उम्मीद बेमानी है,
रुकावट के बिना,
सच की तलाश,
ज़हन को थका देगी
किसी ने पुराने समय में कहा,
मुश्किलों में ही मोक्ष है!


कठिन साधना में कुछ अनहोनी न हो,
ये उम्मीद व्यर्थ है,
अंजाने से बचना,
कमज़ोर कोशश की निशानी है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
कठिन साधना आसान बनाओ,
सर सवार हर भूत को,
दोस्ती का हाथ बढाओ!


कुछ खत्म करने की ज़ळी न करो,
आसानी से मिली चीज़,
इरादों में सेंध लगाती है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
जो कर रहे हो उसे पूरा करो,
तमाम कोशिश करो!


दोस्ती में फायदा मत सोचो,
खुदगर्ज़ दोस्ती, यकीं को जख्मी करती है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
"दिलसाफ दोस्ती दोस्ती को पोसती है"


लोग तुम्हारी पीछे चलेंगे ये उम्मीद बेमानी है,
लोग अनुयाई बन जाएँ तो आप घमंडी बनेंगे,
किसी ने पुराने समय में कहा,
"अपनी इच्छाशक्ति से रिश्तों के बीच अमन लाइए"

जो भला किया उसका फल मिलेगा, मत सोचिये,
ये सोच दिमाग को धूर्त बनाती है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
"दिखावे वाली रूहानियत को पुराने जूतों की तरह दरकनार करिये"

काम की कीमत से ज्यादा मुनाफा न लें,
ये अपने को मुर्ख बनाने जैसा है,
किसी ने पुराने समय में कहा,
"अमीरी ईमानदारी की हो"


कठोर साधना से दिमाग साफ़ होगा, न सोचें,
ज़हन किसी भी सख़्ती से कोफ़्त कर बैठता है,
शर्मिंदगी से कोई बात साफ नहीं होती,
किसी ने पुराने समय में कहा
"डट कर लगे रहो के अपना रास्ता साफ़ हो"



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हाथ पर हाथ!!

मर्द बने बैठे हैं हमदर्द बने बैठे हैं, सब्र बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अल्फाज़ बने बैठे हैं आवाज बने बैठे हैं, अंदाज बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! शिकन बने बैठे हैं, सुखन बने बैठे हैं, बेचैन बने बैठे हैं, बस बैठे हैं! अंगार बने बैठे हैं तूफान बने बैठे हैं, जिंदा हैं शमशान बने बैठे हैं! शोर बिना बैठे हैं, चीख बचा बैठे हैं, सोच बना बैठे हैं बस बैठे हैं! कल दफना बैठे हैं, आज गंवा बैठे हैं, कल मालूम है हमें, फिर भी बस बैठे हैं! मस्जिद ढहा बैठे हैं, मंदिर चढ़ा बैठे हैं, इंसानियत को अहंकार का कफ़न उड़ा बैठे हैं! तोड़ कानून बैठे हैं, जनमत के नाम बैठे हैं, मेरा मुल्क है ये गर, गद्दी पर मेरे शैतान बैठे हैं! चहचहाए बैठे हैं,  लहलहाए बैठे हैं, मूंह में खून लग गया जिसके, बड़े मुस्कराए बैठे हैं! कल गुनाह था उनका आज इनाम बन गया है, हत्या श्री, बलात्कार श्री, तमगा लगाए बैठे हैं!!

पूजा अर्चना प्रार्थना!

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हमदिली की कश्मकश!

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